
हरिद्वार, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखण्ड़ में देवताओं के मन्दिर तोड़े जाने से और देव स्थानों को अय्यासी का स्थान बनाने से देवभूमि उत्तराखण्ड़ में दैवीय प्रकोप बादल फटने और भूरूखलन के रूप में देखने को मिल रहा है। यह बात श्री शंभू पंचदशनाम आवाह्न अखाड़े के श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कही।
उन्होंने कहाकि सरकार ने पहले केदारनाथ धाम में आपदा के बाद कॉरिडोर बनाया, फिर बद्रीनाथ धाम में कॉरिडोर के साथ हरिद्वार और ऋषिकेश में भी कॉरिडोर सरकार बनाने जा रही है। गोपाल गिरि महाराज ने कहा कि सरकार को चाहिए की वह धन सतकर्म में लगाए, पूर्व में ऋषिकेश में जी-20 में त्रिवेणी घाट पर मां गंगा, यमुना, सरस्वती, भैरों, दुर्गा, शीतला मांता के मन्दिर को तोड़ने से देवी-देवता क्रोधित हैं। यही कारण है कि प्रदेश में दैवीय आपदा का प्रकोप बना हुआ है। जिस प्रकार की आपदा इस बाद उत्तराखण्ड में दिखायी दे रही है, ऐसी आपदा पहले कभी नहीं देखी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर प्रतिवर्ष माघ मेला का आयोजन हरिद्वार में जनवरी से अप्रैल वैशाखी तक करने का सुझाव दिया गया है। जिससे प्रति वर्ष प्रयागराज की भांति उत्तराखण्ड़ में माघ मेला लगेगा और उससे उत्तराखण्ड़ में 4 माह रौनक रहेगी। मई से अक्टूबर तक चारों धाम यात्रा चलती है। इस प्रकार 10 माह श्रद्धालु उत्तराखण्ड़ में रहेंगे। वार्षिक माघ मेला करने से उत्तराखण्ड़ के सभी देवता अपनी देव डोली प्रतिवर्ष देवप्रयाग में 14 जनवरी को ऋषिकेश में मौनी अमावस्या व बसन्त पंचमी को हरिद्वार में महाशिवरात्रि से हनुमान जयंती तक उत्तराखण्ड़ के देवता और साधु संत व विश्व की जनता स्नान करेगी। जिससे सनातन परम्पराएं बनी रहेंगी।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
