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प्रधानमंत्री मोदी पर पाकिस्तान निर्मित वीडियो साझा करने के आरोपित की जमानत मंजूर

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

प्रयागराज, 17 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गम्भीर अपराध के आरोप में गिरफ्तार सावेज की जमानत मंजूर कर ली तथा उसको ज़मानत दे दी। उस पर अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियों वाला एक पाकिस्तान निर्मित वीडियो प्रसारित करने का आरोप है।

उक्त निर्णय न्यायमूर्ति संतोष राय की पीठ ने सावेज की अर्जी पर दिया है। उस पर ’भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ और ’भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों’ सहित गम्भीर अपराधों का आरोप लगाया गया था। उसे इसी साल 10 मई को गिरफ्तार किया गया था। पीठ ने मुकदमे के निस्तारण को लेकर अनिश्चितता, जेलों में भीड़भाड़ और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के मौलिक अधिकार जैसे कारकों को ध्यान में रखा।

याची ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर पाकिस्तान में तैयार एक वीडियो प्रसारित किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को पुलवामा और पहलगाम आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।

यह भी आरोप है कि वीडियो साम्प्रदायिक शांति भंग करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। हालांकि, यह एक स्वीकृत तथ्य था कि सावेज ने वीडियो नहीं बनाया था, बल्कि उसे केवल प्रसारित किया था। जमानत की मांग करते हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मोबाइल फोन की बरामदगी पूरी तरह से झूठी थी और जांच अधिकारी ने जांच के दौरान किसी भी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की थी।

आवेदक के विरुद्ध बीएनएस की धारा 353(2), 147, 152, 196, 197(1)(डी) और यूएपीए की धारा 13(ए) के तहत मुकदमा थाना भोपा, मुजफ्फरनगर में दर्ज कराया गया था। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। कहा गया कि याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि अपराध गंभीर प्रकृति के है और ऐसी सामग्री का प्रसार देश की सम्प्रभुता, अखंडता और एकता के लिए हानिकारक है। अभियुक्त को रिहा करने से ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति का खतरा होगा।

कोर्ट ने कहा कि जहां मुकदमे का निस्तारण अनिश्चित हो, वहां मुकदमे से पहले की कैद को लम्बा नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि आवेदक का कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है और आरोप पत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है। इसलिए, अदालत ने उसे निजी मुचलके और दो भारी ज़मानत राशि जमा करने की शर्त पर ज़मानत दे दी, जिसमें यह भी शामिल था कि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, गवाहों को धमकाएगा नहीं, या अनावश्यक स्थगन की मांग नहीं करेगा।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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