
सिवनी, 17 सिंतबर (Udaipur Kiran) । विश्व का सबसे बड़ा वन्यजीव सर्वेक्षण की शुरुआत मध्य भारत से हुई। इस राष्ट्रीय अभियान के अंतर्गत रीजनल प्रशिक्षण कार्यशाला तीन दिवसीय कार्यक्रम 15 से 17 सितम्बर तक आयोजित किया गया, जिसका सफल समापन बुधवार को पेंच टाईगर रिजर्व में हुआ।
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने बुधवार को हिस को बताया कि यह कार्यशाला नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) एवं वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी और मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से देश के इस अभियान को प्रारंभ किया गया जिसमें 05 राज्योंझारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के फील्ड डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, डीएफओ एसीएफ रेंज ऑफिसर, फील्ड बायोलॉजिस्ट फील्ड स्टाफ स्तर के लगभग 150 अधिकारी सम्मिलित हुए।
पहला दिन (15 सितम्बर)डॉक्यूमेंट्री “एक नई सहर” का प्रदर्शन तथा फिल्म “बाघ रक्षक: साइलेंट वॉरियर्स ऑफ पेंच” का टीज़र लॉन्च किया गया। इसके उपरांत टाइगर संरक्षण एवं मॉनिटरिंग तथा को-प्रिडेटर, प्रे एवं उनके हैबिटैट मॉनिटरिंग (Phase I) से जुड़े प्रोटोकॉल्स पर सत्र आयोजित हुए। दोपहर बाद फील्ड सेशन में प्रतिभागियों को एमस्ट्राईप्स एप, जी.पी.एस.,रेंज फाइंडर, कम्पास, मैप रीडिंग, बाइनोकुलर के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही ओक्यूपेंसी सैम्पलिंग (Occupancy Sampling) और स्केट कलेक्शन प्रोटोकॉल ( Scat Collection Protocol ) द्वारा जेनेटिक सैम्पलिंग पर चर्चा हुई।
दूसरा दिन (16 सितम्बर)सुबह का फील्ड सेशन Carnivore Sign Survey को समर्पित रहा। इसके उपरांत प्रतिभागियों ने Distance Sampling Survey Design पर विस्तृत चर्चा की। दोपहर बाद सत्र में Line Transect (Form 2) और Habitat Plot Formsको M-STrIPES App पर समझाया गया तथा Camera Trap Deployment पर चर्चा हुई।
तीसरा दिन (17 सितम्बर)अंतिम दिन प्रतिभागियों ने फील्ड सेशन के अंतर्गत Transect Line विधि का अभ्यास किया, जिसके माध्यम से उन्होंने शाकाहारी जीवों की जनसंख्या का अनुमान, वनस्पति एवं आवास मूल्यांकन और वन्यजीव गतिविधियों से होने वाले व्यवधान का अध्ययन किया। इससे प्रतिभागियों ने Herbivore Distribution की समग्र समझ प्राप्त की, जो सीधे तौर पर Carnivore Activities से जुड़ी है।
इसके बाद M-STrIPES सॉफ़्टवेयर के उपयोग और तकनीकी बारीकियों का प्रशिक्षण दिया गया, ताकि AITE 2026 के दौरान डेटा संग्रहण एवं विश्लेषण सुचारू रूप से संपन्न हो सके। दोपहर के सत्र में Phase I Sampling की सावधानियों तथा Camera Trap (Phase III) हेतु राज्य-स्तरीय सैम्पलिंग डिज़ाइन पर विचार-विमर्श हुआ।
समापनकार्यशाला के समापन सत्र मेंहेमंत AIG –NTCAने वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के ज्ञान-साझाकरण की सराहना की और प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस सीख और गति को बनाए रखते हुए फील्ड स्तर पर भी इसे लागू करें। उन्होंने पेंच टीम के प्रयासों की भी प्रशंसा की।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) भोपाल, एल. कृष्णमूर्ति ने मुख्यालय भोपाल से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया और डेटा संग्रहण की ईमानदारी, प्रामाणिकता और गुणवत्ता बनाए रखने पर विशेष जोर दिया।
देवप्रसाद जे., फील्ड डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिज़र्व ने पूरे आयोजन की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों और सहयोगी संस्थाओं का आभार व्यक्त किय।रजनीश सिंह, उपनिदेशक, पेंच टाइगर रिज़र्व ने NTCA को यह ज़िम्मेदारी सौंपने के लिए धन्यवाद दिया, WII की विशेषज्ञ टीमों के मार्गदर्शन और भोपाल स्थित अधिकारियों के सतत सहयोग को सराहा तथा पूरी पेंच टाइगर रिज़र्व टीम के प्रयासों को धन्यवाद ज्ञापित किय।
अब ये ट्रेनर्स अपने – अपने क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देकर 2026 में होने वाले अखिल भारतीय बाघ आकलन में आवश्यक डेटा इकठ्ठा कर भारत शासन के इस बाघ संरक्षण अभियान में योगदान देंगे।
(Udaipur Kiran) / रवि सनोदिया
