
लंदन, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । बलोचिस्तान की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे फ्री बलोचिस्तान मूवमेंट ने कतर की राजधानी दोहा में इजराइल के खिलाफ ईरान और पाकिस्तान सहित तमाम मुस्लिम देशों के मुस्लिम टास्क फोर्स बनाने के फैसले को पाखंड करार दिया है और कहा है कि ये देश ‘मुस्लिम लोगों’ नहीं बल्कि मुस्लिम शासन की रक्षा करने के लिए चिंतित हैं।
बलोचिस्तान के राष्ट्रवादी नेता एवं फ्री बलोचिस्तान मूवमेंट के प्रमुख हिरबय्यर मारी ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में कहा है कि दोहा में आपातकालीन अरब-इस्लामी शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान और ईरान ने इजराइल के हमलों की निंदा की और संप्रभुता पर व्याख्यान दिये हैं। फिर भी, विडंबना यह है कि ये वही देश हैं जो लाखों बलोच, कुर्द, पश्तून, अजरई और अल-अहवाज के लोगों को संप्रभुता से वंचित करते हैं और उन्हें अपने कब्जे में रखे हुए हैं।
मारी ने कहा कि ओआईसी के अंदर, तुर्की, पाकिस्तान और ईरान जैसे ये ‘मुस्लिम’ सदस्य जनसंहार के खिलाफ चिल्लाने या फिलिस्तीन और कश्मीर का जोर-जोर से समर्थन करने का मौका नहीं चूकते हैं। फिर भी, जब बलोचिस्तान और कुर्दिस्तान की बात आती है, तो चुप्पी बहरा कर देने वाली होती है। लोगों का जबरन गायब होना, फांसी देना, सैन्य कार्रवाई, सांस्कृतिक विलोपन – जिनमें से कोई भी ओआईसी के एजेंडे में या उनकी जांच के दायरे में नहीं आता है। ये अरब खाड़ी और मुस्लिम राज्य ब्रिटिश निर्मित देश ‘प्रोजेक्ट पाकिस्तान’ में लाखों का निवेश कर रहे हैं, जो केवल उत्पीड़ित लोगों पर क्रूरता को और बढ़ावा देता है।
बलोच नेता ने कहा कि ये पाखंड अस्वीकार्य है। अरब लीग, जीसीसी और ओआईसी प्लेटफॉर्म जो न्याय के रक्षकों के रूप में परेड करते हैं, स्वार्थ एवं अपने हित के हिसाब से आक्रोश के खोखले चरणों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। कतर की आबादी केवल तीस लाख है और पूरा मुस्लिम राष्ट्र इजराइली हमले के खिलाफ समर्थन में एक साथ आता है। पेट्रोडॉलर चमत्कार करता है। इस समय, पांच करोड़ कुर्द, लगभग तीन करोड़ पश्तून पाकिस्तानी कब्जे में हैं और ढाई करोड़ से अधिक अज़ेरी हैं। न्याय मनमाना नहीं हो सकता। जब तक इन कब्जाधारी देशों के लोगों की आकांक्षाओं को नहीं सुना जाता, तब तक ओआईसी केवल शासनों का एक उपकरण बना रहेगा, लोगों की आवाज नहीं बन पाएगा।
मारी ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने मुस्लिम राष्ट्रों की रक्षा के लिए एक मुस्लिम टास्क फोर्स बनाने की बात की, लेकिन मुसलमानों के असली उत्पीड़क अन्य मुसलमान हैं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को उपनिवेश बनाने की कोशिश की और तीन दशकों तक गृहयुद्ध को बढ़ावा दिया। उन्होंने जोर देकर कहा, मेरे शब्दों पर ध्यान दें। इस ‘टास्क फोर्स’ का उपयोग कभी भी मुस्लिम लोगों के हितों की रक्षा के लिए नहीं किया जाएगा, यह केवल मुस्लिम शासन की रक्षा के लिए अस्तित्व में होगा और यह केवल कब्ज़ाधारी मुसलमानों को, उत्पीड़ित मुसलमानों को और अधिक अपने अधीन करने, उनकी भूमि को लूटने और उनकी पहचान को नष्ट करने में सक्षम बनाएगा।”
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(Udaipur Kiran) / सचिन बुधौलिया
