HEADLINES

सशस्त्र बलों के संयुक्त कमांडर सम्मेलन में किया भविष्य की रणनीति पर विमर्श

राजनाथ सिंह
कोलकाता में पीएम मोदी

कोलकाता, 17 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 15- 17 सितम्बर तक संयुक्त कमांडर सम्मेलन-2025 के समापन पर बुधवार को सशस्त्र बलों ने भविष्य की रणनीति और सुधारों पर गहन विमर्श किया।

इस तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय “सुधारों का वर्ष : भविष्य के लिए परिवर्तन” था। यह मंच रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के शीर्ष स्तर के निर्णयकर्ताओं को एक साथ लाता है, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों तथा सेनाओं की क्षमता विकास पर चर्चा की जाती है।

आयाेजित सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल थे। इसके अलावा रक्षा प्रमुख (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, एनएसए अजीत डोभाल, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, आर्मी जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भी माैजूद रहे। उन्होंने सशस्त्र बलों के समर्पण की सराहना करते हुए आत्मनिर्भरता तथा तकनीकी नवाचार पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में संयुक्तता, आत्मनिर्भर भारत और नवाचार को सेनाओं की मजबूती का आधार बताया।

सम्मेलन की शुरुआत संयुक्त अभियान कमान केंद्र द्वारा किए गए प्रदर्शन से हुई। इसके बाद वायु रक्षा का लाइव प्रदर्शन हुआ जिसमें आधुनिक निगरानी, मिसाइल और ड्रोन रोधी क्षमताओं का परिचय दिया गया। सीडीएस अनिल चौहान ने पिछले दो वर्षों में किए गए प्रमुख सुधारों और उनके परिणामों की विस्तृत समीक्षा पेश की।

राजनाथ सिंह ने सेनाओं की वर्तमान तैयारी, क्षमता विकास और भविष्य के युद्धों की रणनीति पर विशेष सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने असामान्य चुनौतियों जैसे सूचना युद्ध, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक खतरों के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी। रक्षा मंत्री ने बदलते वैश्विक हालात और क्षेत्रीय अस्थिरता को देखते हुए सतत मूल्यांकन और लचीली योजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया।

वहीं, रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि साझा कमांडर सम्मेलन -2025 ने भारतीय सशस्त्र बलों को अधिक समन्वित, तकनीकी रूप से उन्नत और चुस्त-दुरुस्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम रखा है। यह राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ-साथ वैश्विक शांति और स्थिरता में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

सम्मेलन के दूसरे दिन सूचना युद्ध और अंतरिक्ष के महत्व पर चर्चा हुई। इसी दौरान ‘संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत’ को आधिकारिक रूप से जारी किया गया, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। साथ ही पड़ोसी देशों की बदलती सुरक्षा परिस्थितियों, हथियार खरीद प्रक्रिया और पारदर्शिता पर भी खुली चर्चा हुई। पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य योजना की समीक्षा भी की गई।

जबकि, तीसरे दिन भविष्य की चुनौतियों और उभरते खतरों पर विचार हुआ। सीडीएस अनिल चौहान ने सुधारों की दिशा में बनाए गए कार्ययोजनाओं का विस्तृत ब्यौरा दिया और संयुक्तता, एकीकरण व तकनीक आधारित युद्ध क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को लगातार बदलते हालात में फुर्तीला, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार बनाए रखना ही हमारी प्राथमिकता है।

—— ————–

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

Most Popular

To Top