
नई दिल्ली, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव के बाद दिल्ली में जीत का कोई भी जुलूस निकालने पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार काे कहा कि हम डूसू चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर चुनाव संतोषजनक तरीके से संपन्न नहीं कराए गए, तो हम पदाधिकारियों का काम रोक सकते हैं। डूसू का चुनाव 18 सितंबर को होना है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली यूनिवर्सिटी और स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि वो डूसू चुनाव के दौरान कोई भी अप्रिय घटना रोकने के लिए हरसंभव कोशिश करें और इस बात का ख्याल रखें कि चुनाव के दौरान नियमों का पालन हो। इससे पहले 16 सितंबर को भी न्यायालय ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा था कि वे केवल उम्मीद कर सकते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव के दौरान सभी नियमों का पालन होगा। न्यायालय ने कहा था कि नियमों के पालन की जिम्मेदारी दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली पुलिस और छात्र संगठनों की है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और वकील प्रशांत मनचंदा ने कहा था कि प्रशासन लिंगदोह कमेटी और दूसरे नियमों का पालन कराने में नाकाम रही है। उन्होंने कुछ फोटो और वीडियो न्यायालय को दिखाए। तब एनएसयूआई की ओर से पेश वकील ने कहा था कि ये फोटो पिछले साल के हैं। तब न्यायालय ने कहा कि आज की तस्वीर देखिए, कोई आपराधिक ट्रायल नहीं हो रहा है। आखिर याचिकाकर्ता को फोटो लाने के लिए मजबूर क्यों किया जाए। वाहनों पर लगे स्टीकर देखिए।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने बताया कि 149 ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी और 35 मोटरसाइकिल को उम्मीदवारों के चुनाव अभियान पर नजर रखने के लिए तैनात किया गया है। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 24 अगस्त से लेकर 15 सितंबर तक उम्मीदवारों की ओर से नियमों का उल्लंघन करने पर 4593 चालान काटे किए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 16 सितंबर को उम्मीदवारों की ओर से कोई रैली नहीं निकाली गयी। तब न्यायालय ने कहा था कि ये आश्चर्य है कि हमें दिल्ली यूनिवर्सिटी और दिल्ली पुलिस को उसकी ड्यूटी क्या है इसके बारे में बताना पड़ रहा है। तब दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 15 सितंबर की शाम से लेकर 16 सितंबर दोपहर एक बजे तक 200 चालान काटे गए हैं।
न्यायालय ने 15 सितंबर को चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को चेतावनी दी थी कि अगर नियमों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया, तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा था कि डूसू के चुनाव में छात्र संगठनों की बड़ी भूमिका है। न्यायालय ने छात्र संगठनों के पदाधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अपने उम्मीदवारों को निर्देश दें कि वो नियमों का पालन करें। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा था कि कोई उल्लंघन या संपत्तियों का विरुपण नहीं किया गया है। इस पर न्यायालय ने कहा था कि क्या दिल्ली पुलिस को कार्रवाई के लिए न्यायालय के आदेश की जरुरत होगी।
उच्च न्यायालय वकील प्रशांत मनचंदा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि डूसू के चुनाव प्रचार में नियम-कायदों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। चुनाव के दौरान दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रोपर्टी एक्ट, लिंगदोह कमेटी की अनुशंसाओं और डूसू कोड ऑफ कंडक्ट का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि प्रत्याशी ट्रैक्टर, वाहनों, रैलियों और रोड शो के जरिये प्रचार कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
