
पानीपत, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पानीपत ने गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर सिख जत्थों को पाकिस्तान जाने से रोकने के केंद्र सरकार के फैसले पर गहरी आपत्ति जताई है।
कमेटी के प्रधान सरदार मोहनजीत सिंह ने बुधवार को नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय लाखों सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। पाकिस्तान के ननकाना साहिब में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी की जन्म स्थली होने के कारण इस अवसर पर यात्रा सिख परंपरा का अभिन्न अंग है। सरदार मोहनजीत सिंह ने कहा कि यदि सुरक्षा चिंताओं के कारण ऐसा कदम उठाना ही था, तो सिख नेताओं से परामर्श कर सहमति से निर्णय लेना चाहिए था।
सरदार मोहनजीत सिंह ने ऐतिहासिक संदर्भों का हवाला देते हुए बताया कि 1947 के विभाजन के समय ननकाना साहिब, कर्तारपुर सहित अनेक पवित्र स्थल पाकिस्तान में चले गए और लाखों सिख श्रद्धालुओं की पहुँच उन तक लगभग असम्भव हो गई। सरहदें बन्द हो गईं, पुल टूट गए और दशकों तक लोग केवल दूर से ही अरदास कर सके। इसके बाद भी परिस्थितियों ने कई बार तीर्थयात्राओं को रोका गया।
मोहन जीत सिंह ने बताया कि 1965 के युद्ध के बाद जसर जैसे पुलों के टूटने से सीमापार यात्रा लगभग बन्द हो गई। जून 2019 में लगभग 150 श्रद्धालुओं को अटारी सीमा पर सुरक्षा कारणों का हवाला देकर रोका गया। नवम्बर 2019 में खोला गया कर्तारपुर कॉरिडोर कोविड महामारी के कारण 20 माह तक बन्द रहा। मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद कॉरिडोर तत्काल प्रभाव से बन्द किया गया और लगभग 150 श्रद्धालुओं को उसी दिन लौटा दिया गया। जून 2025 गुरु अर्जन देव जी के शहीदी दिवस पर लाहौर जाने वाले जत्थे को अनुमति नहीं दी गई। तो ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि सरकार को तीर्थयात्रा पर रोक लगानी पड़ी है।
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(Udaipur Kiran) / अनिल वर्मा
