West Bengal

तिलासन रायबाड़ी की 224 साल पुरानी दुर्गा पूजा परंपरा पर संकट

जमींदार आवास

मालदह, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । मालदह ज़िले के हबीबपुर ब्लॉक के धूमपुर ग्राम पंचायत के तिलासन क्षेत्र में 224 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है। सप्तमी को पुनर्भबा नदी से देवी की ‘बोधन-घट’ लाने की विशेष परंपरा रही है। इस दौरान पांच राउंड गोलियां दागते हुए ज़मींदार परिवार का सदस्य नदी से घट लेकर रायबाड़ी लौटता है।

तिलासन गांव के पास ही बांग्लादेश सीमा है। पुनर्भबा नदी कंटीले तारों के उस पार बहती है। पहले लाइसेंस प्राप्त बंदूक लेकर वहां जाना कोई समस्या नहीं थी। लेकिन पिछले वर्ष सीमा सुरक्षा बल ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद आयोजकों को नदी से थोड़ा आगे आकर परंपरा निभानी पड़ी। इस कारण ज़मींदार परिवार को आशंका है कि आने वाले वर्षों में यह परंपरा शायद निभाई न जा सके।

परिवार के सदस्यों के अनुसार, राय परिवार मूलतः उत्तर प्रदेश से था। अबोध नारायण राय दाल के व्यवसाय के सिलसिले में तिलासन आए और ब्रिटिश हुकूमत से लगभग 52 मौजों की ज़िम्मेदारी ली। उस समय गांव में कहीं दुर्गा पूजा नहीं होती थी। आर्थिक अभाव सबसे बड़ी बाधा थी। 1800 में अबोधबाबू के पुत्र शिवप्रसाद राय ने अपने घर में पहली बार दुर्गा पूजा की शुरुआत की।

शुरुआत से ही नवरात्रि में पूजा होने लगी और आस-पास के गांवों के लोग इसमें शामिल होते रहे। देश विभाजन के बाद भी सीमा पार से कई श्रद्धालु इस पूजा में भाग लेने आते थे। आज भी पूजा के चारों दिन रायबाड़ी में प्रसाद वितरण की परंपरा जारी है।

परिवार के सदस्य और शिवप्रसाद राय के वंशज राकेश कुमार राय कहते हैं, “पिछले साल बीएसएफ की आपत्ति के बाद हमें कंटीले तार के इस पार खड़े होकर गोली चलाने की रस्म निभानी पड़ी थी। लेकिन आने वाले समय में यह परंपरा जारी रख पाएंगे या नहीं, यही चिंता का विषय है। हमारी पूजा में आज भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं और यह सामाजिक समागम का बड़ा अवसर हो

ता है।”

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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय

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