
जबलपुर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । मातृभूमि और सनातन की रक्षा के लिए मुगलो के सामने कभी ना झुकने वाले नवम गुरु तेग बहादुर जी ने अपना बलिदान इसीलिए दिया क्योंकि उन्हें अपना शीश कटाना स्वीकार था पर धर्म परिवर्तन करना नहीं, ऐसे गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, उनकी शहादत का 350 वाँ वर्ष है, और शहादत दिवस पर पुरे देश में नगर कीर्तन निकाला जा रहा है और हम सौभाग्यशाली है कि नगर कीर्तन का प्रवेश हमारी संस्कारधानी में हुआ है। यह बात लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने मंगलवार को नगर कीर्तन के शहर आगमन के अवसर पर कही।
मंत्री राकेश सिंह ने नगर कीर्तन में गुरु चरणों में नमन कर कीर्तन में शामिल पंच प्यारो का स्वागत कर कीर्तन में उपस्थित जनों का अभिनन्दन किया इसके बाद मंत्री सिंह नंगे पैर ही कीर्तन में शामिल हुए। उन्होंने कहा गुरु तेग बहादुर जी ने कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने एवं सनातन धर्मालंबियों के धर्म परिवर्तन कराने के विरोध करने पर अपने प्राणो का बलिदान दिया था, उन्होने मुगलिया सल्तनत का विरोध किया। 1675 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने उन्हे इस्लाम स्वीकार करने को कहा, पर गुरु साहब ने कहा कि शीश कटा सकते हैं, पर केश नहीं। इस पर औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया था।
सिंह ने कहा गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। धर्म और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। यह मानव अधिकारों के लिए दुनिया की पहली शहादत मानी जाती है। जो सभी के लिए एक मिसाल है। उनकी शहादत दिवस पर उन्हें नमन करते हुए नगर कीर्तन में शामिल सभी का अभिनंदन कर हम कृतार्थ हुए है।
सिंह ने कहा गुरु तेग बहादुर साहिब जी की धर्मनिष्ठा और त्याग युगों युगों तक भारतीय पीढ़ियों का आदर्श रहेंगे। हम सौभाग्यशाली है कि आगामी तीन दिनों तक कीर्तन पथ गुरुद्वारा प्रेमनगर से गुरुद्वारा माढ़ाताल तक यह यात्रा जबलपुर वासियो को गुरु प्रेरणा से जोड़ेगी।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
