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चंडीगढ़ में आवारा कुत्ताें के काटने से जुड़े मामलों के केस सुप्रीम काेर्ट भेजे जायेंगे

चंडीगढ़, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ में लावारिस कुत्तों के काटने से जुड़े मामलों पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि इस संबंध में दायर अवमानना याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएंगी। कोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के मद्देनजर दिया है।

हाई कोर्ट ने वर्ष 2015 में चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को निर्देश दिया था कि 2013 में तैयार की गई ‘आवारा कुत्तों के प्रबंधन की व्यापक योजना’ को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। इस आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कई अवमानना याचिकाएं दायर की गई थीं। यह मामला सबसे पहले याचिकाकर्ता गुरमुख सिंह द्वारा उठाया गया था। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ याचिका दाखिल कर रोज गार्डन क्षेत्र में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक की ओर ध्यान दिलाया। उनका कहना था कि सुबह टहलते समय आवारा कुत्तों ने उनका पीछा किया और इलाके में कुत्तों के काटने की कई घटनाएं दर्ज हुई हैं। चंडीगढ़ में चलाया गया कुत्तों की नसबंदी का कार्यक्रम भी सवालों के घेरे में आ गया था।

दाखिल याचिकाओं में कहा गया कि 2015 के आदेश के बावजूद प्रशासन ने जानबूझकर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की थी कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का कार्यक्रम विफल रहा है, क्योंकि आवारा कुत्तों की संख्या पहले से कई गुना बढ़ गई है। जस्टिस विकास बहल ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को आदेश पारित करते हुए सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों को ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों’ के पालन के लिए पक्षकार बनाया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस विषय से जुड़े सभी मामले, जो वर्तमान में अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित हैं, उन्हें एक साथ सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए ताकि एकरूपता से विचार किया जा सके।

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(Udaipur Kiran) शर्मा

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