RAJASTHAN

आमजन को दुष्प्रभाव रहित स्थाई समाधान देने की प्रमुख जिम्मेदारी आयुर्वेद चिकित्सकों पर

आमजन को दुष्प्रभाव रहित स्थाई समाधान देने की प्रमुख जिम्मेदारी आयुर्वेद चिकित्सकों पर

सीकर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय जयपुर के प्रो वीसी कमलेश कुमार शर्मा ने कहा कि स्वस्थ दीर्घायु जीवन के लिए आयुर्वेद अनिवार्य विषय है, आमजन स्वस्थ दीर्घायु जीवन की चाह में आज पुनः आयुर्वेद की ओर आकर्षित है, ऐसे समय में आमजन को दुष्प्रभाव रहित स्थाई समाधान देने की प्रमुख जिम्मेदारी आयुर्वेद चिकित्सकों पर है, जिसके लिए चिकित्सकों को निरंतर अपने आपको अपडेट करते रहना होगा।

शर्मा खाटूश्यामजी में विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान, चिकित्सक प्रकोष्ठ, जयपुर प्रांत के द्वारा आज से दो दिवसीय नाड़ी विज्ञान एवं विद्धकर्म चिकित्सा राष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यशाला के दूसरे दिन के मुख्य अतिथि पद से बाेल रहे थे।

विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अशोक कुमार शर्मा प्राचार्य राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय उदयपुर, प्रोफेसर ओमप्रकाश दाधीच पूर्व विभागाध्यक्ष शरीर क्रिया विभाग, डॉ किशोरी लाल शर्मा राष्ट्रीय प्रभारी विद्यार्थी प्रकोष्ठ, विश्व आयुर्वेद परिषद, वैध कृष्ण मुरारी प्रचारक अखिल भारतीय बीज प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , डॉ महेश सोनी उपनिदेशक आयुर्वेद विभाग सीकर, डॉ राकेश कुमार शर्मा प्रदेशाध्यक्ष, डॉ विनोद कुमार गौतम महासचिव, डॉ महेश इंद्रा आयोजन सचिव एवं डॉ जगदीश सिंह राजावत प्रांत प्रभारी जयपुर एवं आयोजन अध्यक्ष डॉ पवन सिंह शेखावत ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

कार्यक्रम के प्रदेशाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार शर्मा ने औषध निर्माता प्रकोष्ठ के विभिन्न दायित्व की घोषणा की, विश्व आयुर्वेद परिषद शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ किशोरी लाल शर्मा ने कहा कि विश्व आयुर्वेद परिषद विगत 25 वर्षों से भी अधिक समय से आयुर्वेद के पुनरुत्थान के लिए पूर्ण सक्रियता के साथ कार्य करते हुए वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के प्रचार प्रसार, आयुर्वेद चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों के कौशल विकास का कार्य निरंतर कर रहा है।

संगठन के आयोजन अध्यक्ष पवन सिंह शेखावत ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यशाला में देशभर के 400 आयुर्वेद चिकित्सकों को नाङी विज्ञान का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान द्वारा पूर्व में भी अग्निकर्म, पंचकर्म, मर्म-चिकित्सा इत्यादि आयुर्वेद की प्रमुख विधाओं पर कार्यशाला आयोजित की जा चुकी हैं। आयुर्वेद की प्राचीन लुप्त हो रही महत्वपूर्ण विधाओं को पुन: स्थापित करने के लिए विश्व आयुर्वेद परिषद पिछले 27 वर्ष से प्रयासरत हैं।

कार्यक्रम के अंत में संगठन सचिव एवं आयोजन सह सचिव डॉ बाबूलाल बराला ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं सहयोगियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

आयोजन सहसचिव डाॅ बी एल बराला, संयुक्त सचिव डाॅ रामावतार शर्मा, सीकर विभाग संयोजक डाॅ जितेंद्र कुमार वर्मा, जिला संयोजक डाॅ हरिराम कटारिया, डाॅ शंकरलाल शर्मा, डाॅ रमेश कस्वा सहित 40 से अधिक आयोजन समिति के सदस्य इस ऐतिहासिक कार्यशाला के सफल आयोजन में सहयोग कर रहे है।

—————

(Udaipur Kiran) / राजीव

Most Popular

To Top