Uttar Pradesh

बीएचयू आईएमएस में सीवियर एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बच्चे का सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट

बीएचयू  में पत्रकार वार्ता

वाराणसी, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्ववि‌द्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान बाल रोग विभाग ‌में सीवियर एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित 09 साल के बच्चे का सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया। वाराणसी निवासी पीड़ित बच्चे की स्थिति अत्यंत संवेदनशील थी। ट्रांसप्लांट से पहले उसे बार-बार रक्त व प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ती थी। डॉक्टरों की सतर्क निगरानी और विशेषज्ञ देखरेख में यह जटिल प्रक्रिया सफलतापूर्वक सम्पन्न की गई। फिलहाल बालक की हालत स्थिर है और वह ठीक हो रहा है।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस.एन. शंखवार और डिवीजन ऑफ पीडियाट्रिक होमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी/ बोन मैरो ट्रांसप्लांट, बाल रोग विभाग की प्रोफेसर विनीता गुप्ता ने मंगलवार को यह जानकारी पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि सीवियर एप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ लेकिन गम्भीर स्थिति है। जिसमें शरीर की अस्थिमज्जा (बोन मैरो) रक्त कोशिकाओं का निर्माण करना बंद कर देती है। इससे रोगी को बार-बार संक्रमण, रक्तसाव और थकावट जैसी समस्याएं होती हैं। इस स्थिति का एकमात्र प्रभावी उपचार बोन मैरो ट्रांसप्लांट है, जो विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाओं में ही सम्भव होता है।

प्रो.शंखवार के अनुसार अब तक बीएचयू में कुल 35 बोन मैरो ट्रांसप्लांट जिनमें रक्त कैंसर जैसे एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकीमिया, बच्चों में पाए जाने वाले ठोस ट्यूमर और एप्लास्टिक एनीमिया जैसे रोग, किए जा चुके हैं, जिनमें से 2 मरीज एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित थे। यह सफल ट्रांसप्लांट पूर्वी उत्तर प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों के उन रोगियों के लिए एक नई आशा का संकेल है, जो गम्भीर रक्त विकारों से जूझ रहे हैं। बीएचयू में अब ऐसे जटिल मामलों का इलाज संभव हो पा रहा है, जिससे इस क्षेत्र को अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।

प्रोफेसर विनीता गुप्ता ने बताया कि यह मामला बीएचयू की चिकित्सीय विशेषज्ञता को ही नहीं, बल्कि जटिल बाल्यकालीन रोगों के प्रबंधन में आवश्यक समन्वयन भी है। हमें गर्व है कि हम अपने क्षेत्र के परिवारों को इतनी उन्नत चिकित्सा सेवा प्रदान कर पा रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम अपने बाल्यकालीन बोन मैरो ट्रांसप्लांट कार्यक्रम का विस्तार थैलेसीमिया मेजर, म्यू‌कोमॉली सैकराइडोसिस जैसे दुर्लभ आनुवंशिक व चयापचयी रोगों, स्टोरेज डिसऑर्डर आदि से पीड़ित बच्चों तक करें। हमारा उ‌द्देश्य है कि इस क्षेत्र में कोई भी बच्चा केवल संसाधनों की कमी के कारण जीवन का दूसरा अवसर न खोएं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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