Haryana

हिसार : भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति की भी संचारक : प्रो. बलदेव भाई शर्मा

संगोष्ठी का उद्घाटन करते मुख्यातिथि प्रो. बलदेव भाई शर्मा एवं कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।
प्रदर्शनी अवलोकन करते मुख्यातिथि प्रो. बलदेव भाई शर्मा एवं कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।
प्रदर्शनी में श्री राम मंदिर मॉडल का अवलोकन करते मुख्यातिथि प्रो. बलदेव भाई शर्मा एवं कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।

गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के हिंदी व वाणिज्य विभाग के सौजन्य से हुए कार्यक्रमइग्नू की सह-आचार्य डा. रीता सिन्हा रही विशिष्ट अतिथि

हिसार, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति का संचारक भी है। भाषा को गौरव और अपनत्व के साथ अपने दैनिक व्यवहार में अपनाना चाहिए। अन्य भाषाओं को सीखना गलत नहीं है, लेकिन आधुनिकता के नाम पर अपनी मातृभाषा की आत्मा को मरने नहीं देना है। प्रो. बलदेव भाई शर्मा मंगलवार को यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सौजन्य से हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में ‘हिंदी और भारतीय सांस्कृतिक अस्मिता’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अध्यक्षता की जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की सह-आचार्य डा. रीता सिन्हा विशिष्ट अतिथि रही।प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदी भाषा को लेकर अनुकूल वातावरण है।उन्होंने हिंदी को भारत की एकात्मकता का प्रतीक बताया तथा कहा कि पूरी दुनिया में हिंदी को सम्मान से देखा जा रहा है। दुनिया के लगभग 200 विश्वविद्यालयों में हिंदी को पढ़ाया जा रहा है। प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने गुजविप्रौवि को लेकर कहा कि यह विश्वविद्यालय गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांतों को सार्थक कर रहा है। यह विश्वविद्यालय अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ जीवन मूल्यों के निर्माण में भी अपना योगदान दे रहा है।भारत के विश्व गुरु बनने में हिंदी की भूमिका महत्वपूर्ण : प्रो. नरसी राम बिश्नोईकुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि आज जब भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है, तब हिंदी की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यह केवल साहित्य की भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, व्यापार और डिजिटल युग की भाषा भी बन गई है। सांस्कृतिक अस्मिता की दृष्टि से हिंदी वह सूत्र है जो हमें हमारी परंपराओं, जीवन मूल्यों और आध्यात्मिक विरासत से जोड़ता है। हिंदी केवल संप्रेषण का साधन नहीं, यह हमारी राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक गौरव का स्वर है। महात्मा गांधी जी ने हिंदी के बारे में कहा था कि हिंदी वह भाषा है जो देश को एक सूत्र में बांध सकती है। कुलपति ने विश्वविद्यालय की रैंकिंग, स्कोपस पब्लिकेशन तथा अन्य उपलब्धियों का हवाला देते हुए बताया कि यह विश्वविद्यालय हरियाणा प्रदेश का श्रेष्ठ विश्वविद्यालय है।हिंदी वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली तीसरी भाषा : डा. रीता सिन्हाविशिष्ट अतिथि डा. रीता सिन्हा ने कहा कि हिंदी वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां हिंदी की पहुंच नहीं है। हिंदी धर्म, जाति, सम्प्रदाय से ऊपर भारत की विभिन्नताओं को आत्मसात करती तथा देश को जोड़े रखने का काम करती है। हिंदी विश्व स्तर पर भी अब बाजार की भाषा बन चुकी है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हिंदी को महत्व दे रही हैं। हिंदी जन-जन तक पहुंचने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भी मातृभाषाओं को काफी महत्व दिया गया है। वाणिज्य विभाग द्वारा लगाई गई भारतीय पुनर्जागरण विषय पर लगाई गई दो दिवसीय प्रदर्शनी

विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा ‘भारतीय पुनर्जागरण में एक दशक का अद्भुत अविस्मरणीय योगदान : भारत के वैश्विक शक्ति बनने की यात्रा (विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम)’ विषय पर दो दिवसीय प्रदर्शनी भी लगाई गई। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के क्रश हॉल में लगी इस प्रदर्शनी का उद्घाटन कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने किया व अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। इस अवसर पर प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि भारतीय पुनर्जागरण ने विश्व को नई दिशा दी है। पिछले एक दशक में भारत ने शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में जो अदभुत योगदान दिया है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोेई ने कहा कि इस प्रदर्शनी से युवा शक्ति को भारत की उन्नति की झलक मिली है और वे विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए और अधिक संकल्पित हुए हैं। डा. रीता सिन्हा ने भी इस प्रदर्शनी को विद्यार्थियों के विचारों और नवाचारों का एक सशक्त मंच बताया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वाणिज्य विभाग की अध्यक्षा डा. निधि तुरान ने की। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी विद्यार्थियों की रचनात्मकता और नवाचार को दर्शाती है। प्रदर्शनी की संयोजिका डा. मोनिका ने बताया कि प्रदर्शनी में राम मंदिर का मॉडल सबका ध्यान आकर्षित करने वाला रहा।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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