
सुलतानपुर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिन्दी को पूरी तरह से राजकीय दर्जा मिलना चाहिए, केवल कागजी तौर पर नहीं। यह बातें उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर में नगर के राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने मंगलवार काे कहीं। वह महाविद्यालय में हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी सप्ताह के अंतर्गत आयोजित संगोष्ठी व विविध कार्यक्रम को बतौर अध्यक्ष सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिंदी का प्रयोग अनुवाद और औपचारिकता निर्वाह की भाषा के रूप में नहीं सहज और स्वतंत्र भाषा के रूप में होना जरूरी है। भारत के मन को समझना हो तो हमें हिंदी भाषा को अपनाना पड़ेगा। जिस भाषा को बोलने और समझने वाले लोग गिनती के हों, उस भाषा में राजकाज करना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है।
मुख्य वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि हिंदी अब विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो चुकी है। ज्ञान विज्ञान को अपने में समेट कर सोशल मीडिया में अग्रणी भूमिका निभाती हुई हिन्दी आज रोजगार की भाषा बन चुकी है। यदि हिंदी कमजोर होगी तो उसमें रची बसी संस्कृति और संस्कार भी कमजोर होंगे।
विशिष्ट वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा सिंह ने कहा कि हिन्दी जीवन मूल्य सिखाने और दिलों को जोड़ने वाली भाषा है। हिन्दी में काम कर के हम अपनी वैश्विक पहचान बना सकते हैं। हिन्दी चेतना और विकास से जुड़ी हुई भाषा है। इस अवसर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें बीए एमए के छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
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(Udaipur Kiran) / दयाशंकर गुप्त
