HimachalPradesh

हिमाचल में 2.22 लाख किसान कर रहे प्राकृतिक खेती, 38 हजार हेक्टेयर भूमि पर उगा रहे रसायनमुक्त फसलें

शिमला, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की मुहिम अब रंग ला रही है। प्रदेश की 3,584 पंचायतों में 2,22,893 किसान 38,437 हेक्टेयर भूमि पर रसायनमुक्त फसलें उगा रहे हैं। इससे न केवल किसानों की आय में इजाफा हो रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी शुद्ध व पौष्टिक उत्पाद मिल रहे हैं। एक सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार काे यह जानकारी दी।

उन्हाेंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ने अब तक 3.06 लाख किसानों और बागवानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया है। वर्ष 2025-26 तक एक लाख नए किसानों को इस अभियान से जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है। अब तक राज्य के 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों और बागवानों ने कृषि विभाग में अपना पंजीकरण भी करवा दिया है।

प्रवक्ताने बताया कि सरकार की इस पहल से उपभोक्ता अब रसायनमुक्त और सुरक्षित उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ‘हिम-भोग’ ब्रांड के तहत इन्हें बाजार में ला रही है। किसानों की मेहनत का उन्हें उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी प्रदान कर रही है। वर्तमान में प्राकृतिक पद्धति से उगाई गई मक्की के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 60 रुपये, कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये और पांगी क्षेत्र की जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का समर्थन मूल्य दिया जा रहा है।

पिछले सीजन में सरकार ने 10 जिलों के 1,509 किसानों से 399 मीट्रिक टन मक्की खरीदी, जिसके बदले किसानों को 1.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसी तरह इस वर्ष 2,123 क्विंटल गेहूं की खरीद कर 1.31 करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में डाले गए। छह जिलों में उगाई गई 127.2 क्विंटल कच्ची हल्दी के लिए भी किसानों को 11.44 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।

किसानों की सुविधा और सहयोग के लिए सरकार ने प्राकृतिक खेती आधारित सतत खाद्य प्रणाली योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार और नाबार्ड द्वारा 50-50 प्रतिशत वित्तीय सहायता से किसान उत्पादक कंपनियां बनाई जा रही हैं। अब तक सात किसान उत्पादक कंपनियां स्थापित हो चुकी हैं।

प्राकृतिक खेती को प्रमाणित करने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने एक नई स्व-प्रमाणन प्रणाली ‘सर्टिफाइड इवेल्यूवेशन टूल फॉर एग्रीकल्चर रिसोर्स एनालिसिस – नेचुरल फार्मिंग’ शुरू की है। इसके अंतर्गत अब तक 1,96,892 किसानों को प्रमाणित किया जा चुका है।

प्रवक्ता के अनुसार इन प्रयासों से हिमाचल प्रदेश अब प्राकृतिक खेती का राष्ट्रीय मॉडल बनता जा रहा है। देशभर से कृषि वैज्ञानिक, शोधकर्ता, किसान और अधिकारी इस मॉडल को समझने के लिए प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और इसी दिशा में यह कदम किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक साबित हो रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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