
लुवास में ‘उन्नत दुग्ध एवं दुग्ध-उत्पाद प्रसंस्करण पर जागरूकता’ प्रशिक्षण कार्यक्रम
का शुभारम्भ
हिसार, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । यहां के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान
विश्वविद्यालय (लुवास) में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘उन्नत
दुग्ध एवं दुग्ध-उत्पाद प्रसंस्करण पर जागरूकता’ पर आयोजित इस प्रशिक्षण का उद्देश्य विद्यार्थियों,
किसानों और नव-उद्यमियों को आधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण तकनीकों, स्वच्छता मानकों और मूल्य
संवर्धन की संभावनाओं से अवगत कराना है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि निदेशक-अनुसंधान डॉ. नरेश जिंदल ने मंगलवार काे कहा कि दुग्ध उद्योग
की सफलता और उसकी वैश्विक पहचान के लिए सबसे ज़रूरी है कि हम मानकों पर आधारित प्रक्रियाएं
अपनाएं, स्वच्छता की स्पष्ट और लिखित पद्धतियों का पालन करें और उत्पादन को अनुशासित
ढंग से संचालित करें।
उन्होंने कहा कि यदि हम दुग्ध एवं दुग्ध-उत्पाद प्रसंस्करण में
विज्ञान-आधारित प्रशिक्षण, मानकीकरण और नियमों का सख्ती से अनुपालन करेंगे तो न केवल
किसानों और दुग्ध उत्पादकों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित
और उच्च-गुणवत्ता वाला भोजन भी मिलेगा। डॉ. जिंदल ने यह भी बताया कि स्वच्छ दूध का उत्पादन,पारदर्शी परीक्षण और गुणवत्ता-जांच,
उन्नत तकनीक व स्वचालन का उपयोग, मूल्य संवर्धन द्वारा अधिक लाभ प्राप्त करना और पर्यावरण
की ज़िम्मेदारी निभाना ये सभी पहलू मिलकर दुग्ध उद्योग को खेत से लेकर थाली तक की पूरी
श्रृंखला में गुणवत्ता और विश्वास प्रदान करते हैं।
विशिष्ट अतिथि पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. गुलशन नारंग ने अपने
विचार रखते हुए कहा कि दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र में तकनीकी दक्षता और सतत नवाचार ही
युवाओं तथा किसानों के लिए रोजगार और उद्यमिता के नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त करते
हैं। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के मानव संसाधन निदेशक डॉ. राजेश खुराना, छात्र
कल्याण निदेशक डॉ. सज्जन सिहाग, आईपीवीएस के निदेशक डॉ. पवन कुमार एवं विभिन्न विभागों
के अध्यक्ष भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज ऑफ डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अधिष्ठाता
डॉ. शरणागौड़ा बी. के स्वागत उद्बोधन और कार्यक्रम-परिचय से हुई। उन्होंने अतिथियों
एवं प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्यों और महत्व पर
प्रकाश डाला। प्रथम सत्र का आयोजन पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विस्तार शिक्षा के सेमिनार
हाल में किया गया। इस कार्यक्रम में अनुसूचित जाति के विद्यार्थी, प्रगतिशील किसान
तथा नव-उद्यमियों सहित कुल 35 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
यह कार्यक्रम डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग, कॉलेज ऑफ डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ की प्रौद्योगिकी एवं नवाचार फाउंडेशन (आईहब
अवध) के सहयोग से, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत स्वीकृत
एवं वित्तपोषित परियोजना के तहत आयोजित किया जा रहा है।
पहले दिन का विषय-केंद्र ‘दुग्ध स्वचालन एवं उपकरण संचालन’ रहा और विभिन्न प्रशिक्षण
सत्रों का संचालन क्रमश: डॉ. योगेश बांगर,
डॉ. दीपिन चंद्र यादव, प्रदीप एवं डॉ. शालिनी अरोड़ा ने किया।
परियोजना
का संचालन डॉ. शालिनी अरोड़ा, प्रमुख अन्वेषक एवं सहायक प्रोफेसर, डेयरी प्रौद्योगिकी
विभाग के नेतृत्व में किया जा रहा है। आयोजन समिति में डॉ. सरिता, डॉ. तेजिंदर पाल
सिंह, डॉ. सतीश जांगड़ा व डॉ. रचना शामिल रहे। अपने-अपने विषयगत अनुभव और सक्रिय सहभागिता
के माध्यम से इन्होंने प्रशिक्षण को और अधिक प्रभावी व परिणामोन्मुख बनाने में अहम
योगदान दिया।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
