
– विशेष अपील बेंच ने सरकार की अपील पर एकल जज के आदेश पर लगाई रोक
प्रयागराज, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । मां के सरकारी सेवा में रहने के बावजूद तथ्य छिपाकर पिता की जगह मृतक आश्रित में नौकरी पाए सरकारी कर्मचारी के पक्ष में एकल जज द्वारा दिए निर्णय पर उच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ ने रोक लगा दी है। उप्र सरकार की तरफ से एकल जज के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अपील को दो जजों की खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया है तथा आदेश के अमल पर रोक लगा दी है।
यह आदेश जस्टिस एम के गुप्ता एवं जस्टिस अरूण कुमार की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग की तरफ से दायर विशेष अपील पर पारित किया है। अपील दाखिल कर एकल जज के 18 अप्रैल 2025 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
मामले के अनुसार जिला पंचायत राज अधिकारी बस्ती ने 28 अगस्त 2021 को याची राहुल की मृतक आश्रित में हुई नियुक्ति को समाप्त कर दिया था। सेवा समाप्त करने का आधार यह लिया गया था कि राहुल ने पिता की मृत्यु के बाद उनके आश्रित के रूप में नौकरी पाने के लिए इस तथ्य को नहीं बताया गया था कि उसकी मां बतौर सहायक अध्यापक सरकारी नौकरी में है। पिता की मृत्यु के समय मां प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापिका थी।
एकल जज के समक्ष याची का कहना था कि जो नौकरी का फार्म उसने मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के लिए भरा था, उसमें ऐसा कोई कालम नहीं था जिसमें मां की नौकरी का उल्लेख करना जरूरी था। उसका कहना था कि उसने कोई तथ्य छिपाया नहीं है। उसकी तरफ से यह भी कहा गया कि उसे नौकरी करते 10 साल से ऊपर हो गया था, ऐसी स्थिति में भले ही अवैध नौकरी हो उसे सेवा से हटाना गलत है।
विशेष अपील में सरकार का कहना था कि मृतक आश्रित कोटे में नौकरी की यह पहली शर्त है कि मृतक कर्मचारी यदि पति है तो पत्नी और यदि पत्नी है तो पति सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए। कहा गया कि यह प्रावधान मृतक आश्रित सेवा नियमावली के नियम 6 में दिया गया है। मां सरकारी नौकरी में टीचर के रूप में कार्यरत है यदि पहले से याची ने बता दिया होता तो उसकी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी नहीं मिल सकती थी। यही कारण है कि याची ने इसे जानबूझकर छिपा लिया और पिता की जगह सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
