
बलिया, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । खतरा बिन्दु से ऊपर बह रही गंगा की लहरें विनाशक रूप धारण किए हुए हैं। गंगा के जलस्तर में घटाव के बावजूद जिले के आखिरी छोर पर बसे नौरंगा गांव में मकानों के गंगा में समाने का सिलसिला जारी है। हालांकि, गंगा उस पार बसे इस गांव के लोगों की मुसीबतों के स्थायी हल के लिए प्रशासन बड़ा प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी में है।
चक्की नौरंगा के बाजार में कई कमरों वाला एक पूरा कटरा कटान की भेंट चढ़ गया है। अब तक इस गांव में गंगा के कटान के कारण ताश के पत्तों की तरह मकानों के पानी में समाहित होने की संख्या 107 पहुंच गई है।
नौरंगा के प्रधान सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि अब तक 12 सौ एकड़ उपजाऊ भूमि गंगा में विलीन हो चुकी है जो लोग किसान थे वो कटान के कारण भूमिहीन होकर खेतिहर मजदूर बनने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
वहीं, जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि अब तक 107 लोगों के मकान गंगा में विलीन हो चुके हैं। इसमें से अधिकांश को गृह अनुदान के रूप में एक लाख 20 हजार रूपये दे दिया गया है। जो शेष बचे हैं, उन्हें गृह अनुदान देने के लिए उचित कार्रवाई की जा रही है। बाढ़ का पानी कम होने पर जमीन कटने व फसल नुकसान का सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाएगा। जिनके मकान गंगा में विलीन हुए हैं, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि नौरंगा को बचाने के लिए बड़ा प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / नीतू तिवारी
