


–चंदचंडीगढ़ यूनिवर्सिटी कैंपस में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया इंजीनियर्स डे
उन्नाव, 15 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इंजीनियर्स हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। इंडस्ट्री रेवॉल्यूशन के इस चरण में एआई अहम भूमिका निभा रहा है। लेकिन इसमें अभी भी विज़डम की कमी है। फिर भी हम यह आशा कर सकते हैं कि आने वाले चरण में एआई न केवल तकनीकी दृष्टि से और आगे बढ़ेगा, बल्कि मानवता के मूल्यों को भी समझने लगेगा। यह बातें सोमवार को इंजीनियर्स डे पर उन्नाव स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आईआईटी कानपुर प्रो. डॉ. निश्चल वर्मा ने कही।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश—भारत की पहली एआई-ऑग्मेंटेड मल्टीडिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी ने इंजीनियर्स डे को उत्साहपूर्वक मनाया। इस अवसर पर कई सत्र आयोजित हुए जिनमें इंडस्ट्री-एकेडमिक संवाद और विविध रोचक प्रतियोगिताएं शामिल थीं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों में इनोवेशन और क्रिएटिविटी की भावना को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। जिसके बाद प्रो. डॉ. अजय प्रसाद, डीन, इंजीनियरिंग फैकल्टी ने उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया।
मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद आईआईटी कानपुर प्रो. डॉ. निश्चल वर्मा ने इंजीनियरिंग के बदलते स्वरूप और एआई के युग में नए अवसरों पर अपने विचार साझा किए। वहीं टेक्निकल डायरेक्टर आलोक अग्रवाल ने कहा कि भविष्य के इंजीनियर्स को तैयार करने के लिए बेहतर इंडस्ट्री-एकेडमिक पार्टनरशिप अत्यंत आवश्यक है। इस दौरान छात्रों को इंजीनियर्स प्रतिज्ञा दिलाई गई, जिसमें उन्होंने नैतिक आचरण और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का संकल्प लिया।
इस पैनल डिस्कशन में कहा गया कि 2047 अमृत काल की यात्रा में इंजीनियरिंग की भूमिका बेहद अहम होगी और एआई इसमें निश्चित रूप से महत्वपूर्ण योगदान देगा। खासतौर पर हेल्थकेयर और ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करने में इसका बड़ा रोल रहेगा। टेक्नोलॉजी ने हमारी ज़िंदगी बदल दी है और जब एआई व टेक्नोलॉजी एक साथ आते हैं तो यह और भी सशक्त हो जाते हैं। लेकिन नई पीढ़ी केवल नौकरियों की ओर आकर्षित है, जबकि असली ज़रूरत इनोवेशन की है। इनोवेशन समय लेता है, और इंजीनियर्स की असली पहचान यही है कि वे पहले समस्या को पहचानते हैं और फिर उसका समाधान निकालते हैं। इसीलिए आवश्यक है कि इंजीनियर्स सोचें, प्रयोग करें और इनोवेशन पर ध्यान दें। आज हमारे पास ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएँ मौजूद हैं, जिनका उपयोग कर एआई के ज़रिए हम अपनी इनोवेशन क्षमता को और आगे बढ़ा सकते हैं।
इस अवसर पर टेक्निकल डायरेक्टर, पीटीसी इंडस्ट्रीज आलोक अग्रवाल ने कहा कि मानवता इस समय एक बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रही है। इस परिवर्तन के दो अहम स्तम्भ हैं, एक ओर शक्तिशाली फोर्सेज़ और दूसरी ओर इंजीनियर्स तथा एआई का संगम। निस्संदेह, इंजीनियर्स ही वास्तविक सोसाइटी बिल्डर्स हैं।
21वीं सदी की चुनौतियां पहले से बिल्कुल अलग हैं और इन्हीं चुनौतियों के बीच इंडस्ट्री 4.0 का आगाज़ हो चुका है। एआई अब हमारी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा है, और यह प्रगति केवल इंजीनियर्स की मेहनत से ही संभव हुई है। आज एआई और इंजीनियर्स मिलकर नए आयाम और संभावनाएँ गढ़ रहे हैं। यह समय मशीन बनाम इंसान का नहीं, बल्कि इंसान और मशीन के सहयोग का है। लेकिन यह भी ज़रूरी है कि इंजीनियर्स एआई का उपयोग हमेशा एथिकल तरीके से करें, क्योंकि एआई मानव मूल्यों को नहीं समझ सकता। आने वाला भविष्य ऐसा हो सकता है जहाँ फैक्ट्रियाँ बिना वेस्ट के चलें और शहर अपनी ऊर्जा से प्रदूषण को स्वयं अवशोषित कर लें। यही है इंडस्ट्री 4.0 की असली ताक़त, एक ऐसा भविष्य जहाँ तकनीक और मानवता साथ-साथ आगे बढ़ें।
वहीं चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी यूपी और इंडस्ट्री के संगम पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश के प्रयासों की सराहना करता हूँ। उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत से पहले ही कई टॉप इंडस्ट्रीज़ के साथ एमओयू किए हैं। यह कदम वाकई भविष्य के इंजीनियर्स को इंडस्ट्री-रेडी बनाने की दिशा में एक मज़बूत पहल है।
इंजीनियर्स डे की शुभकामनाएँ देते हुए रजिस्ट्रार डॉ. अजय यादव ने कहा कि विकसित भारत 2047 का संकल्प तभी पूरा होगा जब हमारे पास इनोवेटर्स होंगे। जिस तरह संयुक्त राष्ट्र ने सस्टेनेबिलिटी गोल्स निर्धारित किए हैं, वे भी इंजीनियर्स के बिना पूरे नहीं हो सकते। असली इनोवेटर्स वही हैं, जो इंजीनियर्स के रूप में समाज को आगे बढ़ा रहे हैं। सीयू उत्तर प्रदेश का विज़न है फ्यूचर-रेडी इंजीनियर्स तैयार करना जो इंटर डिसिप्लिनरी नॉलेज, एआई स्किल्स और ग्लोबल एक्सपोज़र के साथ आगे बढ़ें। इंजीनियर्स डे का यह आयोजन यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक उत्कृष्टता इंडस्ट्री से जुड़ाव और सामाजिक ज़िम्मेदारी को दर्शाता है।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
