Jharkhand

कुर्मी के रेल रोको प्रदर्शन के विरोध में आ‍दि‍वासी संगठनों का धरना 20 को

प्रेसवार्ता में शामिल आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधिगण सदस्‍य

रांची, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । झारखंड में कुर्मी-कुड़मी समुदायों को आदिवासी सूची (एसटी) में शामिल करने को लेेेकरर 20 सितम्बर रेल रोको अभियान के विरोध में झारखंड के कई आदिवासी राजभवन के समक्ष धरना देंगे।

इस संबंध में सोमवार को कई आदिवासी, सरना समुदाय संगठनों ने करमटोली स्थित केन्द्रीय धुमकुड़िया में संयुक्त प्रेस वार्ता कर जानकारी दी। मौके पर केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि 20 सितम्बर को कुर्मियों की ओर से बुलाए गए रेल टेका आंदोलन के जवाब में धरना देने का निर्णय लिया गया हैै।

उन्‍होंने कहा कि कुर्मी-कुड़मी समुदाय को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग को न सिर्फ फर्जी इतिहास गढ़ने का प्रयास है। बल्कि कुरमी समुदाय का यह फैसला सीधे तौर पर आदिवासी समाज के अधिकारों और अस्तित्व पर हमला है। इसलिए आगामी 20 सितम्बर का महाधरना आदिवासी अस्मिता की रक्षा करने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा।

मौके पर केन्द्रीय सरना समिति की महिला अध्यक्ष निशा भगत और डब्लू मुंडा ने कहा कि कुर्मी-कुरमी आदिवासी बनने की मांग से आदिवासियों की जमीन और अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। उन्‍होंने साफ कहा कि यदि सरकार ने आदिवासियों को नजरअंदाज किया तो केंद्र सरकार को चेताने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा।

वहीं जय आदिवासी केन्द्रीय परिषद की महिला अध्यक्ष निरंजना हेरेंज टोप्पो ने कहा कि यदि केंद्र और भाजपा सरकार कुर्मियों का समर्थन करती है तो आदिवासी समाज उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा। माय माटी संस्कृति बचाओ मोर्चा के राजेश लिंडा ने कहा कि झारखंड आदिवासियों का है और आदिवासियों का ही रहेगा।

मौके पर लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि कुर्मी समाज अपने ही समाज को गुमराह कर रहा है और आदिवासियों के हक पर डाका डालने की साजिश कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता कुन्दरसी मुंडा ने कहा कि यदि कुर्मी आदिवासी बन गए तो आदिवासियों का आरक्षण, जमीन और हक-हकूक सब उनसे छिन जाएगा।

इससे पहले आदिवासी संगठनों ने बैठक की। बैठक की अध्यक्षता आदिवासी बुद्धिजीवी लक्ष्मी नारायण मुंडा ने की।

मौके पर वक्ताओं ने कुर्मी-कुड़मी समुदाय को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग को फर्जी इतिहास गढ़ने का प्रयास बताया। कहा गया कि कुरमी समुदाय के इस फैसले को सीधे तौर पर आदिवासी समाज के अधिकारों और अस्तित्व पर हमला समझा जाएगा । प्रेस वार्ता में प्रमुख रूप से अमर तिर्की, हर्षिता मुंडा, लक्ष्मी मुंडा, सुनील टोप्पो, अजय खलखो, रतन उरांव, प्रकाश मुंडा समेत कई संगठन प्रतिनिधि मौजूद थे।

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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar

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