नैनीताल, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । उच्च न्यायालय ने ऊधमसिंह नगर जिले की जसपुर तहसील के तीन गांव शिपका, मिलखशिपका और मनोरथपुर थर्ड को राजस्व गांव घोषित करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बाद में अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तिथि नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट में सुनवाई के दौरान वन निगम के निदेशक सहित संबंधित अधिकारी वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। पूर्व सुनवाई में कोर्ट ने वन विकास और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को 350.65 एकड़ भूमि का सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक सिंचाई विभाग ने सर्वे के लिए अधिकारी नियुक्त नहीं किया था। सरकार की ओर से कोर्ट में कहा कि जांच के लिए दो सदस्यीय पैनल गठित कर दिया गया है।
मामले के अनुसार मनोरथपुर निवासी मुख्यतियार सिंह व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि वर्ष 1958 में तुमड़िया डैम बनने से करीब 350 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई थी। इसके बाद प्रभावित गांवों को रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि दे दी गई, जिससे ये गांव राजस्व ग्राम की श्रेणी से बाहर हो गए। परिणामस्वरूप ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि केंद्र सरकार ने पहले इन गांवों को राजस्व गांव बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन 2017 में यह वापस ले ली गई। ग्रामीणों ने मांग की है कि शिपका, मिलख शिपका और मनोरथपुर थर्ड को जल्द राजस्व गांव घोषित किया जाए।
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(Udaipur Kiran) / लता
