
—सामाजिक संस्था आगमन ने समाज को कन्या भ्रूण हत्या से बचने का दिया सन्देश
वाराणसी,15 सितम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी)में पितृ पक्ष के मातृनवमी तिथि पर सोमवार को दशाश्वमेध घाट पर उन अजन्मी बेटियों का श्राद्ध किया गया। जो भूलोक पर आने के पूर्व ही माँ के गर्भ में ही मार दी गई। सामाजिक संस्था आगमन के संस्थापक और श्राद्धकर्ता डॉ. संतोष ओझा ने विधि विधान पूर्वक पिंड निर्माण कर विधिपूर्वक हतात्माओं का आह्वान कर बारी-बारी से उनके मोक्ष की कामना की। अनोखे अनुष्ठान की शुरुआत अलसुबह गंगा स्नान के उपरांत पिंड निर्माण से हुई। क्षौर कर्म के उपरांत गंगा के मिट्टी की वेदी निर्माण, शांति पाठ तत्पश्चात् शास्त्र वर्णित मंत्रों के बीच आह्वान , प्रेत योनि के बेटियों के पिंड का पूजन-अर्पण और तर्पण साथ पंच बलि, ब्राम्हण भोज के साथ अनुष्ठान का समापन हुआ। श्राद्ध अनुष्ठान का सभी कर्मकांड संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा ने किया । वहीं,पूरा अनुष्ठान पं. दिनेश शंकर दुबे और कन्हैया पाठक के साथ पांच कर्मकांडी ब्राम्हणों ने कराया। श्राद्ध कर्म के बाद डॉ. संतोष ओझा ने बताया कि संस्था 2001 से लगातार अजन्मी बेटी को बचाने का अभियान चला रही है । संस्था ने विगत 25 सालों में सैकड़ों मां-बाप का काउंसलिंग कर उन्हें पेट में पल रही बेटियों को जन्म देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि तमाम सरकारी और संस्थागत प्रयास के बावजूद आज भी काशी में कन्या भ्रूण हत्या जारी है जिसको रोकने के लिए सरकारी तंत्र को और भी प्रभावी और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे अजन्मी बेटियां जो भूलोक पर आने के पूर्व ही माँ के गर्भ से में ही बलात मार दी जाती है। वे प्रेत योनि में जाने को मजबूर हो जाती हैं। इन बेटियों को प्रेत योनि में भेजने वाले कोई और नहीं, इन्हीं के सगे मां-बाप, बुआ, दादी और उनके परिजन हैं। इन बेटियों की आत्मा की शांति के लिए यह पिंडदान कार्यक्रम किया गया। उन्होंने बताया कि संस्था एक बार फिर चिन्हित अल्ट्रासाउंड सेंटर और उनके संचालकों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने की घोषणा करेगी। अनुष्ठान में राहुल गुप्ता, हरिकृष्ण प्रेमी, साधना, सन्नी कुमार, ज्योति, जितेंद्र जी किरण, साधना आदि ने भी सहयोग किया।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
