
सीकर, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान, चिकित्सक प्रकोष्ठ, जयपुर प्रांत द्वारा सोमवार से दो दिवसीय नाड़ी विज्ञान एवं विद्धकर्म चिकित्सा राष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यशाला एवं आरोग्य प्रदर्शनी का आयोजन श्री द्वारकेश भवन, खाटूश्यामजी, सीकर में शुरू हुआ।
कार्यशाला का सुप्रारंभ मुख्य अतिथि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति, विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथिगण श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पृथ्वी सिंह चौहान, बोर्ड आफ इंडियन मेडिसिन राजस्थान के रजिस्ट्रार डाॅ सीताराम शर्मा, राजेंद्र शर्मा, धर्मगुरु जयपुर महानगर सेवा प्रमुख राष्ट्रीय स्वयं सेवक , प्रोफेसर विनायक तायड़े , राष्ट्रीय नाड़ी रोग विशेषज्ञ, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय सीकर के प्राचार्य महेन्द्र कुमार सौरठा, विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ राकेश कुमार शर्मा, कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष एवं विश्व आयुर्वेद परिषद चिकित्सक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी डॉ पवन सिंह शेखावत ने भगवान धन्वंतरि प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यकम के प्रारंभ में संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार शर्मा ने सभी अतिथिगणों एवं आगंतुक प्रतिभागियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि आयुर्वेद सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति है और न केवल चिकित्सा पद्धति बल्कि सम्पूर्ण जीवन विज्ञान है। आयुर्वेद वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति नहीं, स्वस्थ दीर्घायु जीवन के लिए अनिवार्य चिकित्सा पद्धति है, वर्तमान समय में पुनः स्वस्थ दीर्घायु की चाह, आमजन को आयुर्वेद की ओर आकर्षित कर रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा के प्रमुख सिद्धांत दोष दुष्य को आधार बनाकर चिकित्सा करने पर शत प्रतिशत पूर्ण फलदाई होती है।
कार्यक्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ गोविंद सहाय शुक्ला ने कहा कि विश्व आयुर्वेद परिषद विगत 25 वर्षों से भी अधिक समय से आयुर्वेद के पुनरुत्थान के लिए पूर्ण सक्रियता के साथ कार्य करते हुए वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के प्रचार प्रसार, आयुर्वेद चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों के कौशल विकास का कार्य निरंतर कर रहा है।
कार्यक्रम में महाराष्ट्र के प्रसिद्ध नाङी वैद्य डाॅ विनायक तायङे ने देशभर से पधारे सैंकङों आयुर्वेद चिकित्सक नाङी परीक्षण का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया।
रींगस रोङ स्थित द्वारकेश भवन में आमजन के लिए आरोग्य प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें आयुर्वेद की प्रमुख फार्मा कंपनियों ने अपने विभिन्न उत्पादों की स्टॉल लगाई।
संगठन के आयोजन अध्यक्ष पवन सिंह शेखावत ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यशाला में देशभर के 400 आयुर्वेद चिकित्सकों को नाङी विज्ञान का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान द्वारा पूर्व में भी अग्निकर्म, पंचकर्म, मर्म-चिकित्सा इत्यादि आयुर्वेद की प्रमुख विधाओं पर कार्यशाला आयोजित की जा चुकी हैं। आयुर्वेद की प्राचीन लुप्त हो रही महत्वपूर्ण विधाओं को पुन: स्थापित करने के लिए विश्व आयुर्वेद परिषद पिछले 27 वर्ष से प्रयासरत हैं।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
