
– अभ्यास में 40 से अधिक देश सक्रिय भागीदार या पर्यवेक्षक के रूप में भाग लेंगे
नई दिल्ली, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय नौसेना का नवीनतम स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘निस्तार’ पहली बार सिंगापुर के चांगी में पहुंचा है। पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग के नियंत्रण में यह जहाज बहुराष्ट्रीय प्रशांत क्षेत्र अभ्यास में भाग लेगा। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा, सहयोग और सामरिक समन्वय को बढ़ावा देने के साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करना है।
नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने बताया कि अभ्यास में 40 से अधिक देश सक्रिय भागीदार या पर्यवेक्षक के रूप में भाग लेंगे। यह अभ्यास बंदरगाह और समुद्री चरणों में आयोजित किया जाएगा। सप्ताह भर चलने वाले बंदरगाह चरण में भाग लेने वाले देशों के बीच पनडुब्बी बचाव प्रणालियों, विषय वस्तु विशेषज्ञों के आदान-प्रदान (एसएमईई), चिकित्सा संगोष्ठी और क्रॉस-डेक यात्राओं पर गहन चर्चाएं शामिल होंगी। अभ्यास के समुद्री चरण में आईएनएस निस्तार और एसआरयू (ई) दक्षिण चीन सागर में भाग लेने वाली संपत्तियों के साथ कई हस्तक्षेप और बचाव कार्यों में शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना में इसी साल 18 जुलाई को शामिल किया गया आईएनएस निस्तार स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल है। यह पोत समुद्र में गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। विशाखापत्तनम के हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में निर्मित पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट पोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। जहाज निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता और प्रगति के इस शानदार उदाहरण में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। विस्तृत गहरे समुद्र में गोताखोरी प्रणालियों के साथ यह जहाज डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) के लिए मदरशिप की भूमिका निभा रहा है।
कैप्टन मधवाल ने बताया कि भारत की समुद्री सीमा के पहरेदार के रूप में डाइविंग सपोर्ट वेसल निस्तार और निपुण जहाज 118.4 मीटर लंबे, 22.8 मीटर चौड़े हैं और इनका वजन 9,350 टन है। इन जहाजों को डीप सी डाइविंग ऑपरेशन के लिए तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) के साथ डीएसवी को आवश्यकता होने पर पनडुब्बी बचाव अभियान चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अलावा ये जहाज निरंतर गश्त करने, खोज और बचाव अभियान चलाने और उच्च समुद्र में हेलीकॉप्टर संचालन करने में सक्षम हैं।
उन्होंने बताया कि दोनों डीएसआरवी के नौसेना में शामिल होने के बाद भारत उन विशिष्ट देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो पनडुब्बी बचाव प्रणालियां संचालित करते हैं। इन प्रणालियों को दूर के समुद्रों में तेजी से तैनाती के लिए निकटतम मोबिलाइजेशन बंदरगाह तक हवाई मार्ग से पहुंचाया जा सकता है। पनडुब्बी बचाव इकाई (पूर्व) दक्षिण चीन सागर में द्विवार्षिक पनडुब्बी बचाव अभ्यास के लिए मुख्य पोत से काम करेगी, जिसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और अंतर-संचालन को बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों के पनडुब्बी बचाव प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों को एक साथ लाना है।
(Udaipur Kiran) निगम
