
कोलकाता, 15 सितम्बर (Udaipur Kiran) । शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय की जमानत याचिका पर सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष की एकल पीठ ने फिलहाल आदेश सुरक्षित रख लिया है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या तीन साल से जेल में बंद पार्थ चट्टोपाध्याय दुर्गा पूजा से पहले रिहा हो पाएंगे।
पार्थ चट्टोपाध्याय को पहले ही प्रवर्तन निदेशालय के मामले में जमानत मिल चुकी है, लेकिन वे जेल से बाहर नहीं आ पाए। कारण यह था कि उनके खिलाफ सीबीआई का मामला अभी लंबित था। इस बार अगर सीबीआई के मामले में भी उन्हें राहत मिलती है तो प्रेसिडेंसी जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा।
साल 2022 में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान ईडी ने पार्थ चट्टोपाध्याय और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की थी। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में सीबीआई ने भी इस मामले की जांच शुरू की और पार्थ को ‘शोन-अरेस्ट’ कर दिया गया। तभी से वे जेल में हैं और बार-बार बीमारियों का हवाला देते हुए जमानत की मांग कर रहे हैं।
सीबीआई की विशेष अदालत में भी सुनवाई चल रही है। यहां नौवीं और दसवीं कक्षा की भर्ती से जुड़े मामले में पार्थ चट्टोपाध्याय समेत 26 लोगों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पार्थ के वकील ने दलील दी कि सारे आरोप मनगढ़ंत हैं और किसी भी गवाह ने उनके खिलाफ सीधा बयान नहीं दिया है। इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि केस डायरी से यह स्पष्ट है कि भर्ती प्रक्रिया में कई बार फाइल मुख्यमंत्री तक जाती थी, लेकिन इस मामले में सीधे एसएससी और शिक्षा विभाग में ही कार्रवाई हुई।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
