Chhattisgarh

कोदो-कुटकी के बाद अब मखाना की खेती, 20 हेक्टेयर से जिले में शुरूआत

ग्राम राखी में मखाना की खेती व उत्पादित मखाना।

धमतरी, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । कोदो-कुटकी के बाद अब जिले में मखाना खेती को महत्व दिया जा रहा है। जिले के कुरूद ब्लाक के गांवों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। 20 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती की गई। फसल तैयार होने के बाद हार्वेस्टिंग भी शुरू हो गई है। मखाना को धान से ज्यादा फायदा देने वाला खेती बताया जा रहा है, जिससे किसान व समूह की महिलाएं प्रेरित हो रही है। मखाना को सुपर फूड व काला हीरा भी कहा जाता है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।

धमतरी जिले के विकासखंड कुरूद के ग्राम राखी, दरगहन और सरसोंपुरी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। इन गांवों के तालाबों में लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती की जा रही है। राखी गांव में तो करीब पांच हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की हार्वेस्टिंग भी शुरू हो चुकी है। यह कार्य कुशल मजदूरों की मदद से किया जा रहा है, क्योंकि मखाने की कटाई-छंटाई में विशेष दक्षता की आवश्यकता होती है। इस नई फसल ने क्षेत्र में उत्सुकता और उत्साह का वातावरण बना दिया है। खासकर महिला स्व-सहायता समूह भी आगे आ रहे हैं। ग्राम देमार के शैलपुत्री महिला समूह और नई किरण महिला समूह ने मखाने की खेती और हार्वेस्टिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। यह कदम न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएगा बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी मजबूती देगा। कृषि विस्तार अधिकारी आदित्य मेश्राम और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञ लगातार किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन दे रहे हैं। मखाने की खेती के लिए खेत या तालाब में केवल दो से तीन फीट पानी पर्याप्त है। यह फसल लगभग छह महीने में तैयार हो जाती है और धान की तुलना में अधिक लाभ देती है। धान की खेती में जहां प्रति एकड़ शुद्ध लाभ लगभग 32,698 आता है, वहीं मखाने से किसान को 64,000 तक की आमदनी हो रही है। यही कारण है कि किसानों की बढ़ती रुचि को देखते हुए जिला प्रशासन ने आगामी रबी सीजन में 200 एकड़ तालाबों में मखाने की खेती विस्तार का लक्ष्य रखा है। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा कि जिले में मखाने की आधुनिक खेती किसानों और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए आय बढ़ाने का नया मार्ग है। यह पहल न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उपयोगी है। प्रशासन का उद्देश्य है कि इसे व्यापक स्तर पर बढ़ाकर किसानों को धान के विकल्प के रूप में मजबूत फसल उपलब्ध कराई जाए। मखाने की सेहत के लिए फायदेमंदयह अभिनव पहल जिले को नई पहचान देने के साथ-साथ किसानों के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य की नई किरण लेकर आ रही है।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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