
उज्जैन, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था द्वारा आयोजित अ.भा. संजा लोकोत्सव अंतर्गत संगोष्ठी रविवार को संपन्न हुई। इसमें भारत की लोक और जनजातीय भाषाएं, साहित्य और संस्कृति: संरक्षण, व्याख्या और प्रासंगिकता पर मंथन हुआ।
अतिथि प्रो. पुरु दाधीच थे। अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने की। प्रो. नंदकिशोर पांडेय, प्रो. नवीनचंद्र लोहनी, डॉ. सुनील कुलकर्णी, प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा ने भी संबोधित किया। डॉ. पुरु दाधीच, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, प्रहलाद टिपानिया एवं कालूराम बामनिया को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा द्वारा प्रकाशित पांच पुस्तक मालवी लोक साहित्य, बघेली लोक साहित्य, गोंडी लोक साहित्य, भीली लोक साहित्य एवं हिंदी भीली अध्येता कोश का लोकार्पण प्रो. जगदीशचंद्र शर्मा, डॉ. श्रीनिवास शुक्ल, डॉ. पूरन सहगल ने किया। अतिथि स्वागत डॉ. पल्लवी किशन, डॉ. शिव चौरसिया, कुमार किशन, डॉ. पुष्पा चौरसिया, प्रो. एसके मिश्रा, सिद्धार्थ भागचंदानी ने किया। डॉ. नेत्रा रावणकर एवं डॉ. बरखा श्रीवास्तव ने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम में डॉ. विभा दाधीच, डॉ. पूरन सहगल, माया बधेका, डॉ. ललित सिंह, डॉ. ध्रुवेंद्र सिंह उपस्थित थे।
लोकनृत्य की दी प्रस्तुति – संजा लोकोत्सव में डॉ. रागिनी मक्खर के संयोजन में विभिन्न राज्यों की नृत्य प्रस्तुतियां हुई। कुमार किशन ने बताया कि कार्यक्रम में पंजाब, राजस्थान,पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने संजा के लोक गीतों पर आधारित लोकनृत्य की प्रस्तुति दी। संचालन सुदर्शन आयाचित ने किया।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
