HimachalPradesh

देवस्थलों में पर्यटकाें की आमद से खतरे में पड़ी सुरक्षा और मर्यादा: देवता समिति

सर्वदेवता सेवा समिति की बैठक में कारदारों को संबोधित करते हुए शिवपाल शर्मा।

मंडी, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के देवस्थलों को पर्यटन स्थलों में तबदील करने से देवी-देवताओं की सुरक्षा और मर्यादा खतरे में पड़ गई है। सर्व देवता सेवा समिति की कार्यकारिणी की बैठक शिव पाल शर्मा अध्यक्ष सर्व देवता सेवा समिति की अध्यक्षता में देव सदन मंडी में आयोजित की गई। इस बैठक में कुछ एक प्रमुख देवी देवताओं के गुर , पुजारियों ने भी भाग लिया। बैठक में हाल ही में मंडी जिला में आई आपदा जिसमें जान मॉल का भारी मात्रा में नुकसान हुआ है के बारे में चर्चा की गई। बैठक से पूर्व सर्व देवता समिति की ओर से आग्रह किया गया था कि कारदार देवताओं गूरों के माध्यम से अपने-अपने देवताओं से इस त्रासदी के बारे में पता करें कि इसके पीछे कारण क्या है। इस अवसर पर आए हुए गुर, पुजारी और कारदारों ने बैठक में बताया कि जितने भी देवी-देवता हैं उन्होंने अपने स्थान एकांत जगह में चुने हुए थे । जहां की पहले देवता की मर्यादा को देखते हुए ही अपनी मान्यता को पूरा करने के लिए श्रद्धालु जाते थे I लेकिन अब इन देव स्थलों में जो भी व्यक्ति वहां जा रहा है, वह आस्था के बजाय पिकनिक मनाने वहां पहुंच रहे हैं। जिसका प्रमाण हमारे सामने है, बहुत ज्यादा शराब की बोतले और अन्य वस्तुएं जो तीर्थ स्थलों में बड़े बड़े पानी के कुंड के नजदीक कुछ एक व्यक्तियों के वस्त्र पाए गए कुंड एक पवित्र स्थान है और देवता कुंड का पानी लेकर शक्तियां प्राप्त करते हैं। जिनमें कमरुनाग , पराशर , रिवालसर आदि शामिल हैं l इस पर देवताओं के गुरों के माध्यम से देवताओं ने अपनी वाणी बोलकर समितियों को बताया कि हर व्यक्ति अपनी मर्यादा भूल गए हैं और अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे हैं l जिसको समय रहते रोकना जरूरी है। इस पर कारदारों ने प्रस्ताव रखा कि जहां-जहां पर देवी-देवताओं के स्थान हैं वहां से सड़क तीन किलोमीटर दूर रखें। देवताओं के मंदिरों के इर्द गिर्द कोई भी पर्यटक स्थान / विश्राम गृह न आदि न बनाएं। इन स्थानों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जाए ताकि देवताओं की सुरक्षा और मर्यादा बनी रहे l उन्होंने बताया कि जहां तक त्रासदी का सवाल है यह पूरे हिमाचल ,उत्तराखंड ओर अन्य प्रदेशों में भी हो रही है, यह प्राकृतिक प्रकोप है l इस प्रकोप से मनुष्यों को खुद मर्यादा को देखते हुए अपना अपना कार्य करें l शिवपाल शर्मा ने बताया कि जिला कुल्लू में जब कोई देवताओं का सामूहिक निर्णय लेना हो तो देवताओं के अपने जगती स्थान बने हुए है्ं। जबकि मंडी में ऐसा प्रावधान नहीं है इस संबंध में भी चर्चा की गई। जिसमें देवताओं के गूर और कारदारों ने कहा कि ऐसा स्थान भूतनाथ मंदिर है जहां से शिवरात्रि का महत्व है। यहां के गर्भगृह के बाहर ही बनाया जा सकता है। वहां समस्त देवी देवताओं के गूर बैठ कर निर्णय ले सकते हैं l इस पर अध्यक्ष ने कहा कि इस विषय पर सभी समितियां अपने अपने देवी देवताओं को गूर के माध्यम से पूछे अगर देवता इजाजत देते है तो आगामी प्रक्रिया जारी की जाएगी l इसी तरह शिकारी जोगनी, स्नोर में तुंगेश्वरी, चौहार में श्री देवी फूंगणी ,फूटा खल की नौनी जोगनी का स्थान हैं इन स्थानों पर आम जन मानस का जाना वर्जित है ,इन स्थानों पर सिर्फ देव कार्य हेतु जाया जाता था। क्योंकि इनको निरोल की भगवतियां माना जाता है । परंतु कारदारों का कहना है कि इन स्थानों पर सड़क की सुविधा होने पर लोग पिकनिक मनाने जा रहे हैं, जो कि गलत है इन देवियों का देव परंपरा के अनुसार उसका महत्व है कि उसका कार्य बड़े शांति स्वरूप से होता है। क्योंकि जोगनिया ज्यादा शोर गुल पसंद नहीं करती है इन देवियों का स्वरूप निरोल है। सरकार से अनुरोध है कि देवी देवताओं के स्थान जहां जहां भी है वहां विकास कार्य किए जा रहे हैं जैसे सड़कें इत्यादि इनकी दूरी मंदिरों से तीन किलोमीटर दूर रखा जाए ताकि देवताओं की परंपरा को देखते हुए स्वच्छता बनी रहे l

बैठक में तीर्थ राज, राजू राम , मोहन लाल उप प्रधान सुरेंद्र भगोरिया सचिव , हेम राज , भीम देव सयुक्त सचिव हुक्म चंद संगठन सचिव रेवती राम सलाहकार मनोज कुमार प्रेस सचिव कोषाध्यक्ष मनोज कुमार ,अमर सिंह, गिरधारी, डिक पॉल शर्मा, इंदर सिंह, कश्मीर सिंह, झाबे राम आदि आदि मौजूद रहे l

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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