



केंद्रीय गृह अमित शाह की अध्यक्षता में महात्मा मंदिर गांधीनगर में पाँचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का हुआ शुभारंभगुजरात में गुजराती और हिंदी का सहअस्तित्व रहा है, जिसके परिणामस्वरूप गुजराती बच्चों की पहुँच राष्ट्रीय स्तर पर बहुत बढ़ी है
गांधीनगर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि हर नागरिक अपनी मातृभाषा को महत्व दे और राजभाषा को सहयोग प्रदान करे। उन्होंने कहा कि ‘हिंदी’ अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि मित्र है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह रविवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में ‘हिंदी दिवस–2025’ और ‘पाँचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
समारोह के शुभारंभ पर केंद्रीय गृहमंत्री ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में हिंदी भाषा प्रेमियों का स्वागत करते हुए कहा, “हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि मित्र है।” पहले अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होते थे। इसमें कुछ परिवर्तन किए गए और पिछले पाँच वर्षों से यह कार्यक्रम देश के विभिन्न भागों में आयोजित किया जा रहा है। परिणामस्वरूप हमें राजभाषा और देश की सभी भाषाओं के बीच संवाद बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ है।
गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात में प्रारंभ से ही दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, कन्हैयालाल मुनशी, उमाशंकर जोशी तथा अन्य अनेक विद्वानों ने हिंदी को अपनाकर उसका प्रचार किया है। इन दूरदर्शी नेताओं ने भारतीय भाषाओं को एक-दूसरे से संवाद के लिए और प्रत्येक राज्य में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए आग्रह किया था। गुजरात में गुजराती और हिंदी का सहअस्तित्व रहा है, जिसके परिणामस्वरूप गुजराती बच्चों की पहुँच राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाहर यह पाँचवाँ अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन भाषा प्रेमियों को नई दृष्टि, ऊर्जा और प्रेरणा देता है। आज इस परिषद में कई प्रकाशनों का लोकार्पण किया गया, जो भाषा के प्रति हमारे प्रेम और शैलियों में उसके उपयोग को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि हिंदी को बोलचाल और प्रशासन के साथ ही विज्ञान, प्रौद्योगिकी और न्याय की भाषा भी होना चाहिए।
‘सारथी’ का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि ‘सारथी’ एक अनुवाद प्रणाली है, जिसके माध्यम से हिंदी से भारत की सभी मान्यता प्राप्त भाषाओं में सरलतापूर्वक अनुवाद संभव है। इस प्रणाली के द्वारा देश के किसी भी राज्य से किए गए पत्राचार का उत्तर गृह मंत्रालय द्वारा उस राज्य की स्थानीय भाषा में दिया जा सकेगा। उन्हाेंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज की लड़ाई के दौरान तीन बातों पर बल दिया था—स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा। ये तीनों बातें आपस में जुड़ी हुई हैं और देश के स्वाभिमान से संबंधित हैं। महात्मा गांधी गुजरात राज्य साहित्य परिषद के अध्यक्ष थे और उन्होंने गुजराती शब्दकोश के निर्माण में भी बड़ा योगदान दिया। वे जानते थे कि जब तक भाषा मजबूत न हो, तब तक कोई भी समाज विश्व में सिर उठाकर खड़ा नहीं रह सकता।
गृहमंत्री शाह ने यह भी बताया कि डिजिटल ‘हिंदी शब्द सिंधु’ में लगभग 7 लाख शब्द शामिल किए गए हैं, जो वर्ष 2029 तक विश्व की सबसे बड़ी शब्दावली बन जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी ने दिव्यांगजनों के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उसी के अंतर्गत आज पाँच दृष्टिबाधित भाइयों–बहनों को एआई संचालित चश्मे दिए गए हैं। इनकी विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन चश्मों की मदद से दृष्टिबाधित व्यक्ति मातृभाषा में कागज़ पढ़ सकेंगे, परिचित चेहरों की पहचान कर सकेंगे, वॉइस असिस्टेंट सिस्टम की मदद से मुद्रा की पहचान कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार ये चश्मे उनके व्यक्तिगत सहायक के रूप में काम करेंगे। उन्हाेंने देशभर के माता–पिता से अपील की कि वे बच्चों से मातृभाषा में संवाद करें और उन्हें मातृभाषा में बोलना, लिखना और पढ़ना सिखाएँ। विद्वानों और मनोवैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि जब बच्चा अपनी भाषा में सोचता, पढ़ता, बोलता, विश्लेषण करता और निर्णय लेता है तो उसकी क्षमता 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक मातृभाषा को महत्व दे और राजभाषा का सहयोग करे। संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी है, तो हिंदी ने उस ज्ञान को प्रत्येक घर तक पहुँचाया है। वहीं हमारी स्थानीय भाषाओं ने उस ज्ञान को हर व्यक्ति तक पहुँचाया है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न प्रौद्योगिकियों के माध्यम से स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने का सराहनीय कार्य किया है, जिसके अंतर्गत गृह मंत्रालय में भारतीय भाषा विभाग की स्थापना की गई है। यह विभाग केवल आधिकारिक भाषाओं ही नहीं बल्कि देश की सभी भारतीय भाषाओं को सुदृढ़ करने का कार्य करता है। लगभग 539 शहरों में और लंदन, सिंगापुर तथा दुबई जैसे विदेशों में भी आधिकारिक भाषा समितियों की स्थापना की गई है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने राजभाषा विभाग द्वारा भारतीय भाषा अनुविभाग के लिए तैयार बहुभाषी अनुवाद सॉफ़्टवेयर तथा डिजिटल हिंदी शब्द सिंधु के उन्नत संस्करण (7 लाख शब्दों सहित) का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग द्वारा तैयार हिंदी और सहकारिता पर केंद्रित विशेषांक तथा ‘हिंदी और भारतीय भाषाएँ: अनुवाद के आयाम’ नामक पुस्तक का विमोचन भी हुआ। साथ ही गृहमंत्री ने 12 से अधिक संस्थाओं और साहित्यकारों को राजभाषा गौरव तथा राजभाषा कीर्ति पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त राजभाषा विभाग के मार्गदर्शन में विभिन्न बैंकों, इसरो और अन्य संस्थाओं द्वारा प्रकाशित पुस्तकों और पत्रिकाओं का भी विमोचन किया गया।
इस सम्मेलन में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब, अहमदाबाद के सांसद दिनेश मकवाणा, केंद्रीय राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव मीनाक्षी चौली, गुजराती शिक्षाविद् प्रो. विजय पंड्या सहित 6,000 से अधिक अधिकारी–कर्मचारी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad
