
उज्जैन, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । किसी भी बच्चे को श्रेष्ठ नागरिक बनाने का काम माता-पिता के साथ शिक्षको का होता है। शिक्षकों को अपनी गरिमा और सम्मान को पुनस्र्थापित करना चाहिए। विद्यार्थी और शिक्षकों की दूरी बहुत अधिक बन गई है। शिक्षकों को अपने कार्य व्यवहार और समर्पण से अपने कर्तव्यों को निभाना होगा।
यह बात शनिवार को सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी प्रो. धीरेंद्र शुक्ला ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय एआई का आ चुका है। हमें अपनी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर चिंतन की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सतत मूल्यांकन की जो परिकल्पना की गई है उसे साकार करने में शिक्षकों को अपनी भूमिका निभाना चाहिए।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का समग्र विकास पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, अवंतिका विश्वविद्यालय, महर्षि पाणिनि संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय एवं निर्मला महाविद्यालय के सहयोग से आयोजित की गई। अध्यक्षता न्यास के क्षेत्रीय संयोजक ओमप्रकाश शर्मा ने की। स्वागत भाषण कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने दिया। न्यास की महिला कार्य की राष्ट्रीय संयोजक शोभा पैठणकर, प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. राकेश ढण्ड, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ. एचएल अनिजवाल, निर्मला महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. जोसेफ एंथोनी मंचासीन थे। संचालन डॉ. जफर महमूद ने किया। समापन सत्र में प्रतिभागियों ने कार्यशाला के अनुभवों को व्यक्त किया। तकनीकी सत्रों में शिक्षाविद् डॉ. चांदकिरण सलूजा, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी, डॉ. मनोहर भंडारी, डॉ. भरत व्यास, डॉ. दिनेश दवे, डॉ. स्मिता भवालकर, डॉ. एसएन शर्मा, डॉ. पंकजा सोनवलकर, डॉ. नीरज सारवान, डॉ. राममोहन शुक्ला, रामसागर मिश्र, अविनाश राठौर, दुर्गाशंकर सूर्यवंशी ने भी संबोधित किया।
—————
(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
