CRIME

जालसाजों ने वन विभाग की जमीन का कराया फसल बीमा, आठ आराेपिताें की हो चुकी गिरफ्तारी

महोबा, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में करोड़ों के घोटाले का मामला उजागर हुआ है जहां धोखाधड़ी कर नदी, नाला व वन विभाग की जमीन का भी बीमा कराने का मामला सामने आया है। डीएम के निर्देश पर मामले की गहनता से जांच की जा रही है। शनिवार को तीन के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया है। मामले में अब तक कुल 26 नामजद लोगों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है जिनमें से आठ की गिरफ्तारी हो चुकी है।

जनपद में जालसाजों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपयों का घोटाला किया गया। जिसको लेकर जिले भर में लगातार कार्रवाई की जा रही है। जहां जिलाधिकारी गजल भारद्वाज के सख्त निर्देश पर 27 अगस्त को उपनिदेशक कृषि रामसजीवन के द्वारा बीमा कंपनी इफको टोकयो के जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

शनिवार को कुलपहाड़ तहसील के सतारी गांव निवासी वन विभाग के बीट प्रभारी मलखान सिंह ने बताया कि वह जैतपुर क्षेत्र के प्रभारी है। जहां उनकी बीट क्षेत्र के गाटा संख्या 157, 158, 160-घ व गाटा संख्या 174-य वन विभाग की भूमि को जैतपुर निवासी देवकरन, अनिल कुमार व कमलेश ने अपनी भूमि बताकर फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करा लिया। जिसकी उनको भनक तक नहीं लगी। जानकारी होने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

कुलपहाड़ थानाध्यक्ष राधेश्याम वर्मा ने बताया कि मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना की जा रही है। हालांकि अभी पूरे मामले की जांच चल रही है और कई अन्य के भी नाम सामने आ सकते है।

चुने चकबंदी प्रक्रिया वाले गांव

जालसाजों के द्वारा इस पूरे खेल में बीमा कंपनी से सांठगांठ कर ऐसे गांवों को चुना जिसमें चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। पोर्टल पर भू-स्वामी व बटाईदार भी अपना बीमा करा सकता है। जहां चकबंदी प्रक्रिया वाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता। जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर किसी की भी जमीन से बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मान्य हो जाती है। जालसाजी कर रहा जालसाज टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। जहां बीमा कंपनी के कर्मचारी भी बिना सत्यापन के भुगतान कर देते हैं जिससे उन पर भी उंगली उठ रही है।

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(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र द्विवेदी

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