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(भारतीय भाषा समागम) शिक्षा में भारतीय मूल्यों को शामिल करना समय की आवश्यकता: नीलकंठ तिवारी

मंचासीन मुख्य अतिथि एवं राज्यपाल मनाेज सिन्हा, अतुल भाई काेठारी,  (Udaipur Kiran)  के अध्यक्ष मार्डिकर एवं अन्य विशिष्ठजन।
वाराणसी में हिंदुस्थान समाचार समूह द्वारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि एवं विशिष्ठजनों के साथ सम्मानित गणमान्य का फोटो।

हिंदुस्थान समाचार समूह ने “पंच प्रण : स्वभाषा और विकसित भारत” विषय पर गाेष्ठी की आयाेजित

वाराणसी, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । विधायक नीलकंठ तिवारी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद अनेक आंदोलनों और बलिदानों से लोकतंत्र और शांति की नींव पड़ी। समाजहित में कार्य करने वालों का सम्मान करना आज भी हमारी जिम्मेदारी है। अन्य देशों की तरह भारत को भी अपनी जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत करना होगा। शिक्षा में भारतीय मूल्याें काे शामिल करना समय की आवश्यकता है।

शहर दक्षिणी के विधायक नीलकंठ तिवारी शनिवार को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी काशी (वाराणसी) में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ सभागार में भारतीय भाषा समागम 2025 कार्यक्रम काे संबाेधित कर रहे थे। इस समागम का आयाेजन हिंदुस्थान समाचार समूह की ओर से किया गया। इस वर्ष का विषय “पंच प्रण : स्वभाषा और विकसित भारत” रहा। राष्ट्र, समाज और शिक्षा के मूल्यों पर अपने विचार रखते हुए विधायक तिवारी ने कहा किस्वतंत्रता के बाद कई आंदोलनों और बलिदानों से लोकतंत्र की नींव पड़ी। अन्य देशों की तरह भारत को भी अपनी जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत करना होगा। विधायक तिवारी ने कहा कि समाजहित में कार्य करने वालों का सम्मान करना आज भी हमारी जिम्मेदारी है। वर्ष 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तब शिक्षा संस्थानों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन आज देशभर में लगभग 600 विश्वविद्यालय, हजारों महाविद्यालय, आईआईटी और प्रबंधन संस्थान कार्यरत हैं। भारतीय छात्र अपनी प्रतिभा और ज्ञान से विश्व स्तर पर भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। तिवारी ने चिंता जताई कि कई बार छात्रों को यह स्पष्ट नहीं होता कि भारत की असली पहचान और मूल मूल्य क्या हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस विषय पर गंभीर चिंतन शुरू हुआ है, जिससे समाज में आत्मविश्वास और गर्व की नई भावना जागृत हुई है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि शिक्षा प्रणाली में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को छात्रों तक पहुंचाना ही समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह कदम न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी आत्मबल और आत्मविश्वास को मजबूत करेगा।

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(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा

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