कोलकाता, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) ।कोलकाता नगर निगम ने दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड पर बांग्ला भाषा का प्रयोग अनिवार्य कर दिया है। निगम की स्पष्ट हिदायत है कि हर प्रतिष्ठान का नाम साइनबोर्ड पर सबसे ऊपर और बड़े अक्षरों में बांग्ला में लिखा होना चाहिए। नियम का पालन न करने वालों का ट्रेड लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
हाल ही में कुछ भाजपा-शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी मजदूरों पर हमलों की घटनाओं के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया था। उसी संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस ने बांग्ला भाषा की प्रतिष्ठा बचाने की पहल की है और नगर निगम प्रशासन को भी इसी दिशा में सक्रिय किया गया है।
नगर निगम ने बताया है कि दुर्गा पूजा के व्यस्त मौसम में व्यापारियों पर अतिरिक्त दबाव नहीं डाला जाएगा। लेकिन काली पूजा के बाद शहरभर में निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा। उस दौरान यदि कोई दुकान या प्रतिष्ठान बांग्ला साइनबोर्ड नहीं लगाएगा तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
कोलकाता के मेयर फ़िरहाद हाकिम ने कहा, “जो व्यापारी बांग्ला भाषा में साइनबोर्ड नहीं लगाएंगे, उनका ट्रेड लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। पूजा के समय व्यापारी व्यस्त रहते हैं, इसलिए काली पूजा के बाद हम निरीक्षण करेंगे।”
व्यापारी वर्ग में इस निर्णय को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कुछ व्यापारी इसे भाषा और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने वाला स्वागतयोग्य कदम मान रहे हैं। वहीं, कुछ व्यापारी चिंतित हैं कि पुराने साइनबोर्ड बदलने में अतिरिक्त खर्च और समय लगेगा।
नगर निगम का दावा है कि इस कदम का उद्देश्य व्यापारियों पर दबाव बनाना नहीं बल्कि कोलकाता की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को मजबूत करना है। निगम के एक अधिकारी ने कहा, “बांग्ला इस शहर की आत्मा है। इसलिए सरकारी और निजी, हर जगह बंगला की प्रतिष्ठा सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है।”
काली पूजा के बाद निगम की विशेष टीम पूरे शहर में निरीक्षण करेगी। इसके बाद कोलकाता की दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में एक नया दृश्य दिखाई देगा जहां बांग्ला भाषा सबसे ऊपर होगी।
पिछले सप्ताह निगम की मासिक बैठक में भाजपा पार्षद सजल घोष ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और मांग की कि बांग्ला अक्षरों का न्यूनतम आकार भी निर्धारित किया जाए। इसके साथ ही नगर निगम ने इमारतों के नक्शे पास कराने में भी बांग्ला भाषा का उपयोग शुरू कर दिया है। साथ ही, मासिक अधिवेशन में पार्षदों को बंगला में प्रश्न पूछने का निर्देश भी दिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
