
कोलकाता, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पूर्व सैनिकों के धरना मंच पर नेताओं की मौजूदगी को लेकर नाराजगी जताई है। अदालत ने शुक्रवार को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को चेतावनी दी और साफ कर दिया कि भविष्य में अगर अदालत के आदेश का उल्लंघन हुआ तो बिना किसी पक्ष का भेद किए कड़ा कदम उठाया जाएगा।
दरअसल, पिछले दिनों धर्मतला में गांधी मूर्ति के पास तृणमूल कांग्रेस ने धरना दिया था। एक सितम्बर को सेना ने उस धरना मंच को हटा दिया। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौके पर पहुंचीं और आरोप लगाया कि सेना भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। उनके इस बयान से आहत होकर पूर्व सैनिकों ने अदालत की अनुमति लेकर वहीं धरना देने का निर्णय किया।
उच्च न्यायालय ने पूर्व सैनिकों को धरना की अनुमति दी थी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। अदालत ने कहा था कि धरने में केवल 200 से 250 लोग शामिल हो सकते हैं और किसी भी राजनीतिक दल का नेता या मंत्री मंच पर मौजूद नहीं रहेगा।
शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से अदालत में शिकायत दर्ज कराई गई कि धरना स्थल पर शुभेंदु अधिकारी और कई भाजपा नेता मौजूद थे। यह अदालत की शर्तों का उल्लंघन है।
इस पर अदालत में सफाई दी गई कि शुभेंदु अधिकारी धरना स्थल पर जरूर गए थे, लेकिन मंच पर नहीं चढ़े। जैसे ही उन्हें पता चला कि राजनीतिक नेताओं को मंच पर रहने की अनुमति नहीं है, वह तुरंत वहां से लौट गए।
फिर भी, न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष नाराज हुए और कहा, “आपने कहा था कि धरने में केवल सेवानिवृत्त सैनिक होंगे। उनका किसी राजनीतिक दल से संबंध हो सकता है, लेकिन यह धरना सेना के मुद्दों पर है, न कि राजनीतिक मुद्दों पर। अगर आप अदालत के साथ चालबाजी करेंगे तो समस्या होगी।”
उन्होंने आगे कहा, फिलहाल अदालत कोई कदम नहीं उठा रही है। लेकिन भविष्य में अगर ऐसा हुआ तो अदालत सख्त कार्रवाई करेगी। चाहे वे सत्ता पक्ष हों या विपक्ष।————————
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
