
गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में समय प्रबंधन विषय पर कार्यशाला आयोजित
हिसार, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
के मनोविज्ञान विभाग में आत्महत्या निवारण दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यशाला
आयोजित की गई। ‘समय-प्रबंधन’ विषय पर हुई इस कार्यशाला
में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर
ऋषिपाल मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
प्रो. ऋषिपाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए शुक्रवार काे कहा कि जीवन में केवल समय-प्रबंधन
ही नहीं, बल्कि समय-लेखा भी अत्यंत आवश्यक है। समय एक अमूल्य संसाधन है, जिसे पूर्व
निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ही उपयोग में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवावस्था
विकास और आनंद, दोनों का संगम है। युवाओं को चाहिए कि वे समय का लेखा-जोखा रखते हुए
समय-अपव्ययी कार्यों को पहचानें और अपने कीमती समय को सार्थक कार्यों में लगाएं। जीवन
की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करके उसी दिशा में समय का सदुपयोग करना चाहिए।
मुख्य वक्ता ने कहा कि यदि समय का उचित नियोजन और लेखा न किया जाए, तो व्यक्ति
तनावग्रस्त हो जाता है और यही तनाव आगे चलकर अवसाद का कारण बनता है। उन्होंने युवाओं
को जीवन को उत्सव की भांति जीने की प्रेरणा दी। महर्षि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद
का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दुख जीवन का स्वाभाविक अंग हैं, किंतु हम अपने
श्रेष्ठ कार्यों और उचित प्राथमिकताओं से उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं। कार्यशाला की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. संजय परमार ने की। उन्होंने कहा कि
आज आत्महत्या मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बन चुकी है। इसलिए हमें अपने आस-पास
के लोगों के व्यवहार पर सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए तथा समय रहते उनमें होने वाले परिवर्तनों
को पहचान कर उनकी सहायता करनी चाहिए। अवसादग्रस्त व्यक्ति के साथ आत्मीयता और सहानुभूतिपूर्ण
व्यवहार अति आवश्यक है।
कार्यशाला का समापन डॉ. पूनम के धन्यवाद के साथ हुआ। मंच संचालन भूमिका व मेघा
ने किया। इस अवसर पर डॉ. मंजू रानी, डॉ. तरूणा, डॉ. स्नेहा, डॉ. अन्चा, डॉ. गोविन्द
यादव, डॉ. गौरव, डॉ हिमांशु तथा कुमारी गुंजन भी उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
