
हकृवि में ‘सेवा प्रबोधन’ कार्यक्रम आयोजित
हिसार, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में युवा एंड सेवा फाउंडेशन,
हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में ‘सेवा प्रबोधन’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौलिक विज्ञान
एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति
प्रो.बीआर कम्बोज मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम में राहुल गोयल विशिष्ट अतिथि व शल्य
चिकित्सक डॉ. मनोज शर्मा मुख्य वक्ता रहे।
कुलपति प्रो. कम्बोज ने शुक्रवार काे अपने सम्बोधन में कहा कि सेवा ही मानवता का मूल है
इससे करुणा, सहानुभूति और भाईचारे की भावना विकसित होती है। उन्होंने कहा कि आज की
युवा पीढ़ी को सेवा भावना से जुडऩे की जरूरत है। चाहे सामाजिक, आर्थिक व चिकित्सा का
क्षेत्र हो, सभी क्षेत्रों में सेवा भाव का बहुत महत्व है। युवाओं को न केवल अपने लिए
बल्कि राष्ट्र हित के लिए सेवा भावना के गुण को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि
जो बिना किसी शर्त व निस्वार्थ भाव से की जाए वही सेवा सार्थक होती है।
मुख्य वक्ता डॉ. मनोज शर्मा ने कहा कि सेवा प्रबोधन का मुख्य उद्देश्य लोगों
में सकारात्मक सोच विकसित करना, सामाजिक उत्तरदायित्व जगाना, व्यक्तित्व विकास करना,
सामाजिक एकता को बढ़ावा देना तथा लोगों में राष्ट्रीय चेतना जागृत करना है। समाज और
राष्ट्र के प्रति नागरिकों को कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए युवा और सेवा
फाउंडेशन, हरियाणा अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
विशिष्ट अतिथि राहुल गोयल ने कहा कि युवाओं में सेवा भावना, सहयोग, सामाजिक
उत्तरदायित्व और राष्ट्र निर्माण के प्रति जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। इससे युवाओं
में ऊर्जा और उत्साह को सार्थक दिशा मिलती है। युवा एंड सेवा फाउंडेशन के ट्रस्टी विनोद कुमार ने संस्था का परिचय देते हुए
कहा कि संस्था की स्थापना इस सोच के साथ हुई कि युवा शक्ति केवल करियर निर्माण तक सीमित
न रहे, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभाए। इस कार्यक्रम के
समन्वयक डॉ. रजनीकांत शर्मा थे। कार्यक्रम के अंत में मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता
डॉ. राजेश गेरा ने धन्यवाद किया। कार्यक्रम में सुभाष मेहरा, सहायक प्रोफेसर सुभाष
चन्द्र, पूजा टंडन व कुलदीप उपस्थित रहे। इस अवसर पर सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता,
निदेशक, अधिकारी, वैज्ञानिक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
