Bihar

पोटाश के छिड़काव से धान के दाने होगे चमकदार और पुष्ट : डा.आशीष राय

किसान को प्रशिक्षण देते डा.आशीष राय

पूर्वी चंपारण,12 सितंबर (Udaipur Kiran) । मिट्टी से पौधे जितनी मात्रा में नाइट्रोजन का अवशोषण करते हैं उससे अधिक मात्रा में पोटैशियम नामक पोषक तत्व भी लेते हैं। बेहतर उत्पादन के लिए मृदा में आवश्यक पोटैशियम की मात्रा नहीं होने पर किसान बेहतर और गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए मिट्टी में पोटैशियम की पर्याप्त आपूर्ति करे।उक्त जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र परसौनी के मृदा विशेषज्ञ डा. आशीष राय ने प्रशिक्षण के दौरान किसानों को देते बतायी।

उन्होंने कहा कि पूर्वी चंपारण के किसान भाई खेतो में नाइट्रोजन की अपेक्षा पोटाश का उपयोग बहुत ही कम मात्रा में करते है,जबकि पौधों में अवशोषित पोटैशियम का करीब आधे से ज्यादा भाग पौधों की पत्तियों, डंठल व शेष भाग दानों, फलों, गुठिलयों आदि में रहते है। किसानों को यह समझना होगा कि बिना पोटैशियम के कोई भी पौधा न तो सही से बढ़ सकता है और ना ही कोई फसल अपने जीवनचक्र को पूरा कर सकता है।

उन्होंने कहा कि पोटाश पौधों में सामान्यत: 60 से भी अधिक लाभकारी एंजाइम्स और अन्य तत्वों को सक्रिय बनाता है। उन्होंने बताया कि धान में पोटाश का छिड़काव करने से धान के दानें अधिक निकलते हैं। वहीं दाने चमकदार, मजबूत, गुणवत्तापूर्ण व पुष्ट होते है। पोटाश पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रकिया को प्रोत्साहित करता है।जिससे पौधे तेजी भोजन का निर्माण करता है।जिससे उत्पादों को बीज, जड़ें, फल, कंद तक पहुंचने की क्रिया को काफी तेजी से सक्रिय होती है। पोटाश पौधों में सर्कराओं के निर्माण व स्थानांतरण में मुख्य भूमिका निभाता है। ईख एवं कंद फसलों के उत्पादन में इसका बड़ा महत्व है।यह पौधों में प्रोटीन उत्पादन को बढ़ाता है, साथ ही नाइट्रोजन की दक्षता को भी बेहतर करता है।

उन्होंने कहा कि पोटाश फसलों को हानिकारक कीड़े-मकोड़े, रोगों के आक्रमण, सूखा व कोहरा से लड़ने की क्षमता विकसित कर पौधों में जल अवशोषण को बढ़ाता है।जिससे पौधे गिरते नहीं है।

किसान पोटाश को मिट्टी में ऐसी जगह डालें जहां से पौधों की जड़े उसे अवशोषित कर सकें। वहीं वर्षा या सिंचाई हो जाने के बाद सतह पर डाला गया उर्वरक नमी के साथ घुलकर के नीचे जड़ो तक पहुंच जाए। यह पौधों के विकसित होने में मदद करता है। किसान पोटाश को पत्तियों, बीजों या जड़ों पर सीधे न डालें। इससे पत्तियां झुलसने का खतरा बढ़ जाता है। इस उर्वरक को मिट्टी के साथ मिलाकार प्रयोग करना बेहतर होगा या घुलनशील पोटाश लेकर पौधों पर उचित मात्रा में छिड़काव कर सकते हैं। खेती के लिए भूमि तैयार करते समय पोटाश का छिड़काव करना प्रभावकारी होता है, क्योंकि इससे पोटाश इतनी गहराई तक पहुंच जाता है जहां तक जड़े फैली होती है। वहीं किसान फसल विशेष के अनुसार पोटाश को सिंचाई जल के साथ ड्रिप सिंचाई के माध्यम से भी दे सकते है।

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(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार

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