Madhya Pradesh

जबलपुरः 6 साल की मासूम को आवारा कुत्तों ने नोंचा.. सिर और शरीर पर गहरे जख्म,

6 साल की मासूम को आवारा कुत्तों ने नोंचा.. सिर और शरीर पर गहरे जख्म,

जबलपुर, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। शहर में कुत्ते आदमखोर हो गए हैं। सड़कों पर इन कुत्तों का झुंड राहगीरों के लिए मुसीबत बन रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को जिले के पाटन क्षेत्र में 6 वर्षीय बालिका पर दो आवारा कुत्तों ने बुरी तरह हमला कर दिया। जिससे मासूम गंभीर रूप से घायल हो गयी है और उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है जहां उसका इलाज जारी है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

बताया जाता है कि साहू कॉलोनी में रहने वाली बालिका सुबह करीब 7 बजे पास की किराना दुकान पर साबुन लेने गई थी। घर लौटते समय अचानक दो आवारा कुत्ते उस पर टूट पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार करीब 2 से 3 मिनट तक कुत्ते बच्ची को गिराकर नोचते रहे। बच्ची दर्द से छटपटाते हुए दर्द से चीखती रही लेकिन तब तक कोई आसपास नहीं था। इसी बीच गुजरने वाले राहगीरों ने जब यह दृश्य देखा तो पत्थर और डंडे मारकर कुत्तों को खदेड़ा। भगाए जाने के बावजूद एक कुत्ता बालिका के घर तक उसका पीछा करता हुआ अंदर घुस आया, जिसे स्थानीय लोगों ने मिलकर बाहर निकाला।

बालिका के सिर, हाथ, पैर और कंधे पर 5–6 जगह गहरे जख्म हैं। खून से लथपथ हालत में उसे पहले पाटन स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। बच्ची की माँ के अनुसार वह इतनी डरी हुई है कि बोल भी नहीं पा रही।

बालिका की माँ मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करती हैं। पिता नागपुर में मजदूरी करते हैं। घटना की सूचना मिलते ही उन्हें भी खबर दी गई। लोगों ने कहा कि अगर राहगीर समय पर न आते तो कुत्ते बच्ची की जान ले सकते थे। मासूम बच्ची पर हुए इस हमले से प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठे हैं।

कुत्तों के काटने से घायल व्यक्तियों की संख्या बाबत जब सीएमएचओ संजय मिश्रा से उनका अभिमत जानना चाहा तो उन्होंने कई बार संपर्क करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं किया। लेकिन जब शासकीय अस्पताल विक्टोरिया के संबंधित विभाग में जाकर वास्तविकता देखी गई तो वहां मौजूद रजिस्टर में आज 120 से अधिक लोग कुत्ते के काटने का इलाज करने पहुंचे थे। मौजूद स्टाफ के अनुसार यह प्रतिदिन की संख्या है। यदि पूरे महीने की बात की जाए तो यह हजारों में जाएगी। और यह आँकड़ा केवल एक शासकीय अस्पताल का है। यदि संपूर्ण शहर की निजी एवं शासकीय अस्पतालों की बात करें तो कुत्ते के काटने से पीड़ितों की संख्या के आंकड़े प्रशासन की सक्रियता की कहानी कह देंगे।

—————

(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

Most Popular

To Top