
रांची, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव और पूर्व विधायक डॉ लम्बोदर महतो ने बोकारो जिले के डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) फंड में व्याप्त करोडों रुपये के अनियमितताओं का खुलासा किया है।
उन्होंने इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। आजसू पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में गुरुवार को लंबोदर ने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में डीएमएफटी फंड में भारी घोटाला हुआ है।
उन्होंने बताया कि झारखंड को जुलाई के अंत तक 16,474 करोड़ रुपये की राशि डीएमएफटी फंड के रूप में प्राप्त हुई, जो जिलों में खनन के एवज में केंद्र सरकार की ओर से आवंटित की गई।
लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस फंड की जिलों में खुलेआम बंदरबांट और लूट का खेल किया जा रहा है। उन्होंंने कहा कि जिस मकसद से यह राशि दी जा रही है, उसका लाभ आम जनता को नहीं बल्कि भ्रष्ट अफसरों को मिल रहा है।
सरकार की नाक के नीचे डीएमएफटी फंड की लूट जारी
उन्होंने कहा कि एक तरफ हेमंत सरकार खनिज रॉयल्टी नहीं मिलने का रोना रोती है, वहीं उसकी नाक के नीचे डीएमएफटी फंड की लूट जारी है।
हजारों योजनाएं बिना स्वीकृति के जोड़ी गईं
डॉ महतो ने कहा कि सिर्फ बोकारो जिले में डीएमएफटी की राशि में 631 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी हुई है।
डीएमएफटी का नियम है कि केवल शासी निकाय से पारित योजनाओं को ही शामिल किया जाए और टेंडर प्रक्रिया का पालन किया जाए, लेकिन हजारों योजनाएं बिना स्वीकृति के जोड़ी गईं और कई एजेंसियों को बिना टेंडर के ही मनोनयन के आधार पर काम दे दिया गया। यह सीधे तौर पर वित्तीय नियमों और प्रशासनिक अधिकारों का उल्लंघन है।
बाजार दर से 220 प्रतिशत अधिक दर कराई स्कूल की वॉल पेंटिंग
डॉ महतो ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक स्कूल की वॉल पेंटिंग में ही चार करोड़ 79 लाख रुपये खर्च कर दिए गए। बाज़ार दर से 220 प्रतिशत अधिक दर पर टेंडर निकालकर मात्र दो वर्षों में भुगतान भी कर दिया गया।
छह एजेंसियों को 17 टेंडर सौंपकर 60 करोड़ रुपये कोचिंग प्रोजेक्ट के नाम पर खर्च कर दिए गए, जबकि यह काम पहले से ही केंद्र और राज्य सरकार की स्किल डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत चल रहा है। 40 हजार का डिजिटल मैप 1.25 लाख रुपये में खरीदा गया, जिसमें 10 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई।
उन्होंने बताया कि राज्य के 260 स्कूलों में टैब वितरण की योजना अधूरी रहने के बावजूद 24 करोड़ 72 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया और यह भुगतान बाजार दर से तीन गुना अधिक था।
177 हाईमास्ट लाइट लगाने का वास्तविक खर्च नौ करोड़ 35 लाख था, लेकिन 18 करोड़ 75 लाख का भुगतान कर दिया गया। कई एजेंसियों से जुड़े जिला पदाधिकारी, जैसे कि परिवहन पदाधिकारी वंदना पर आरोप है कि उनके परिवार की कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया।
डॉ महतो ने कहा कि एक मामले में 91 लाख रुपये नगद बरामद हुए, जिसमें डीएमएफटी सप्लायर भी मौजूद थे। सरकारी अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन खरीदी ही नहीं गई, फिर भी 133 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया। खेल विभाग में भी 91 लाख रुपये से अधिक की सामग्री खरीदी गई और बाद में गायब कर दी गई।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
