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भारत एक सशक्त, आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक स्वास्थ्य अनुसंधान इकोसिस्टम बना रहाः अनुप्रिया पटेल

नई दिल्ली में नेशनल वायरस रिसर्च एवं डायग्नॉस्टिक लेबोरेटरी (वीआरडीएल) कॉन्क्लेव–2025 का उद्घाटन mc

नई दिल्ली, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को कहा कि प्रत्येक प्रयोगशाला, प्रत्येक नवाचार और प्रत्येक सहयोग ‘विकसित भारत’ के विजन में योगदान दे रहा है। भारत एक सशक्त, आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक स्वास्थ्य अनुसंधान इकोसिस्टम बना रहा है। गुरुवार को दिल्ली में “नेशनल वायरस रिसर्च एवं डायग्नॉस्टिक लेबोरेटरी (वीआरडीएल) कॉन्क्लेव 2025” का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि देशभर की 165 वीआरडीएल्स से आए वैज्ञानिक इस दो दिवसीय सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान और उसके बाद इन प्रयोगशालाओं ने देश की सुरक्षा में प्रहरी के रूप में कार्य किया है। वायरस की सीक्वेंसिंग और लगभग 1,700 डायग्नॉस्टिक उत्पादों के वैलिडेशन में इनकी भूमिका अहम रही।

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि

उन्होंने जानकारी दी कि अब 16 वीआरडीएल्स में उच्च जोखिम वाले रोगजनकों के अध्ययन के लिए बायो-सेफ्टी लेवल-3 की सुविधा उपलब्ध है। निपाह, जीका और क्यासनूर फॉरेस्ट डिजीज जैसे संक्रमणों की शुरुआती पहचान में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), देश की एकमात्र बीएसएल-4 प्रयोगशाला, का विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत जबलपुर, डिब्रूगढ़, बैंगलुरु और जम्मू में चार नए क्षेत्रीय एनआईवी स्थापित किए जा रहे हैं।

टीबी उन्मूलन के लिए भारत द्वारा विकसित तकनीकों पर प्रकाश डालाते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जैसे पोर्टेबल हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीन, एआई आधारित स्क्रीनिंग टूल डीप सी एक्स आर, किफायती सीवाईटीबी स्किन टेस्ट (199 रुपये), पेथो डिटेक्ट टीएम टेस्ट तथा नई बी पल उपचार पद्धति, जिसने दवा प्रतिरोधी टीबी में 90 प्रतिशत तक सफलता दिखाई है।

उन्होंने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि डायग्नॉस्टिक टेस्ट की लागत 300 रुपये से घटाकर 28 रुपये कर दी गई है। इसके साथ ही पीएम-जय के 855 पैकेजों का संशोधन कर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और लागत में सुधार किया गया।

आईसीएमआर और सीडीएससीओ द्वारा इन-विट्रो डायग्नॉस्टिक्स (आईवीडी) के मानक प्रोटोकॉल विकसित करना भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। कई वीआरडीएल्स को मेडिकल डिवाइस टेस्टिंग लेबोरेटरी में अपग्रेड किया जा रहा है।

कार्यक्रम में अनुप्रिया पटेल ने आईवीडी वैलिडेशन पोर्टल और प्रोटोकॉल जारी किए। उन्होंने पहला वीआरडीएल बुलेटिन भी जारी किया, जो वायरल संक्रमणों की वास्तविक समय में ट्रैकिंग में सहायक होगा।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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