Uttrakhand

नारी चेतना की प्रतीक हैं महादेवी वर्मा

कार्यक्रम में कविताओं की सस्वर-पाठ प्रतियोगिता की विजेता को सम्मानित करते मुख्य अतिथि।

नैनीताल, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री और छायावाद की प्रमुख स्तंभ महादेवी वर्मा के 38वें स्मृति दिवस पर कुमाऊं विश्वविद्यालय की महादेवी वर्मा सृजन पीठ द्वारा राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में कविताओं की सस्वर-पाठ प्रतियोगिता और संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और महादेवी वर्मा के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। छात्राओं ने कुलगीत, सरस्वती वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ अनुवादक और छायाकार विपिन शुक्ला ने कहा कि महादेवी वर्मा केवल छायावादी कवयित्री ही नहीं, बल्कि बीसवीं सदी की भारतीय नारी चेतना की प्रतीक हैं। उनकी रचनाओं में स्थानीय पात्रों का गहन चित्रण उनके सामाजिक सरोकार और संवेदनशीलता को दर्शाता है।

डॉ. माया शुक्ला ने कहा कि महादेवी का साहित्य प्रेम, वेदना और परोपकार का प्रत्यक्ष स्वरूप है। डॉ. संध्या गड़कोटी ने उन्हें हिंदी साहित्य की पहली नारीवादी लेखिका बताया और कहा कि उनकी करूणा सामान्य जन की संवेदनाओं का प्रतिनिधित्व करती है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नगेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों को साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित कराते हैं और उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करते हैं।

समन्वयक मोहन सिंह रावत ने कहा कि सृजन पीठ विद्यार्थियों में साहित्यिक जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर कार्यक्रम आयोजित करती है। प्रतियोगिता में 11 छात्राओं ने भाग लिया। गरिमा आर्या प्रथम, ललिता रावत द्वितीय और यमुना गोस्वामी तृतीय स्थान पर रहीं। पलक, पूजा और दीपशिखा को सांत्वना पुरस्कार दिए गए। विजेताओं को ट्रॉफी, प्रमाण-पत्र और पुरस्कार राशि प्रदान की गई।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चंद्र जोशी और डॉ. निर्मला रावत ने किया। इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य ललित आर्य, कविंद्र प्रसाद, कुंदन गोस्वामी, बहादुर सिंह कुंवर, ललित नेगी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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