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अदालतों की बदहाल व्यवस्था पर हाईकोर्ट की सख्ती, मुख्य सचिव को फटकार

कोलकाता, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) ।कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ज़िला और निचली अदालतों के ढांचे में सुधार के लिए धन आवंटन न करने पर कड़ी फटकार लगाई है। गुरुवार को वर्चुअल सुनवाई में मुख्य सचिव को अदालत के सामने पेश होना पड़ा।

न्यायमूर्ति देबांशु बसाक की डिवीजन बेंच ने तीखे सवाल दागते हुए कहा, “सीसीटीवी लगाने के लिए रिक्विज़िशन दिया गया था। 17.41 करोड़ रुपये की ज़रूरत थी। लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी पैसे क्यों नहीं दिए गए?”

मुख्य सचिव ने सफाई दी कि 10 करोड़ रुपये आज ही जारी किए जा रहे हैं, बाकी बाद में। इस पर अदालत ने पूछा, “पिछले दिसंबर में आदेश दिया गया था, फिर भी अब तक अमल क्यों नहीं हुआ?”

इसके बाद अदालत ने एक के बाद एक सवाल पूछे। “आख़िरी बार आप मुख्य न्यायाधीश से कब मिले थे?” “क्या आपको पता है हाईकोर्ट में कार्ट्रिज तक नहीं है?” “पेपरलेस कोर्ट चल रहा है, यह जानते हैं?” अदालत ने यह भी याद दिलाया कि “कानून कहता है अदालत चलाने का खर्च राज्य को ही उठाना होगा, फिर यहां क्या हो रहा है?”

न्यायमूर्ति ने टिप्पणी की कि ज़िला अदालत हो या हाईकोर्ट, हर जगह परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। सीसीटीवी का ऑर्डर भी दिसंबर से लंबित है। अब इस तरह और नहीं चलने दिया जाएगा। मामला गंभीर होता जा रहा है।

मुख्य सचिव ने सफाई दी कि वह 29 अगस्त से बाहर थे, फिर भी पूरी जानकारी लेकर बोल रहे हैं। हालांकि अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यह 10 या 17 करोड़ का सवाल नहीं है। हाईकोर्ट से संपर्क रखने वाले अधिकारियों की पहचान कीजिए। आज शाम तक सभी पुराने फाइल वापस भेजें। ज्यूडिशियल सेक्रेटरी से हाईकोर्ट और निचली अदालतों की मांगों की पूरी सूची लीजिए।

वकीलों ने भी आरोप लगाया कि 55 परियोजनाएं लंबित हैं, जिनमें कई भवन निर्माण शामिल हैं। स्वास्थ्य केंद्र का प्रस्ताव भी बहुत पहले दिया गया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इस पर न्यायमूर्ति ने कटाक्ष करते हुए कहा, “इस हालत में कोई बीमार न हो जाए, क्योंकि स्वास्थ्य केंद्र तो है ही नहीं।”

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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय

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