
कोलकाता, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । धर्मतला में भारतीय सेना के पूर्व अधिकारियों के धरना मंच पर शामिल होकर पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“सेना आपको देखकर नहीं भागी, बल्कि आप सेना को देखकर मेयो रोड से डोरिना क्रॉसिंग भाग गई थीं।”
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गांधी प्रतिमा के नीचे से तृणमूल कांग्रेस का मंच खोले जाने पर सेना की आलोचना की थी। इसके खिलाफ ही गुरुवार को कुछ पूर्व सैन्य अधिकारी धरने पर बैठे। पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ धरने की इजाजत दी। शर्त थी कि किसी भी राजनीतिक दल का नेता मंच पर नहीं जाएगा। इसके बावजूद शुभेंदु अधिकारी वहां पहुंचे।
इस पर उन्होंने सफाई दी कि वह किसी राजनीतिक दल के नेता के रूप में नहीं, बल्कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में आए हैं। इसलिए अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं हुआ। शुभेंदु ने कहा, “हम कानून और अदालत का सम्मान करते हैं।”
मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ऐसे व्यवहार करती हैं मानो बंगाल कोई अलग देश हो और वह इसकी प्रधानमंत्री हों। शुभेंदु के मुताबिक, ममता का रवैया स्पष्ट रूप से “देशविरोधी” है। उन्होंने आरोप लगाया कि “भारतीय सेना किसी से डरती नहीं। चीन डरता है, पाकिस्तान डरता है, लेकिन ममता बनर्जी को देखकर सेना डरकर भाग जाएगी, यह कभी संभव नहीं।” उन्होंने यहां तक कहा कि ममता का रवैया देश के तथाकथित “टुकड़े-टुकड़े गैंग” जैसा है।
दरअसल, ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि सेना भाजपा के कहने पर काम कर रही है और जब वह घटनास्थल पर गईं तो सेना के जवान वहाँ से चले गए। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि भाजपा, एजेंसियों और चुनाव आयोग से काम न बनने पर अब सेना का इस्तेमाल कर रही है। इस बयान ने विधानसभा में भी हंगामा मचाया।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी ने भारतीय सेना का अपमान करने की हिम्मत दिखाई है और जनता इसका जवाब देगी। उन्होंने उनके इस्तीफे की भी मांग की।
इस बीच, राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने ममता पर उठे विवाद की तुलना पाकिस्तान सेना की गतिविधियों से कर दी। इसके बाद विधानसभा में भाजपा विधायकों ने जोरदार विरोध किया। हंगामे के बीच स्पीकर ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को निलंबित कर दिया, जिससे विवाद और गहरा गया।
पहले पूर्व सैनिकों ने पुलिस से धरना करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन पुलिस ने “विद्युत कार्य” का हवाला देते हुए इनकार कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ अनुमति दी।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
