
श्रीनगर, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि भारत के नए आपराधिक कानून आतंकवाद के प्रति देश की शून्य सहनशीलता की नीति को मज़बूत करेंगे और समाज से आतंकवाद को ख़त्म करने में मदद करेंगे।
जेएंडके पुलिस पब्लिक स्कूल बेमिना में बोलते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि नए कानूनों ने लगभग 150 वर्षों के बाद औपनिवेशिक काल के आपराधिक न्याय नियमों की जगह ले ली है।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक बदलाव है जो भारत की न्याय व्यवस्था को औपनिवेशिक शासन के अवशेषों से मुक्त करता है और कमज़ोर समूहों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।
सिन्हा ने कहा कि इन तीन कानूनों ने हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया है और अब सिर्फ़ सज़ा के बजाय पीड़ितों पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई जब प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटिश काल के सभी कानूनों की समीक्षा का आदेश दिया। तब से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नए कानून बनाने के लिए प्रतिक्रियाएँ एकत्र की गईं जिनका उद्देश्य सभी के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करना है।
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि नए कानूनों ने औपनिवेशिक उत्पीड़न व्यवस्था को समाप्त कर दिया है, पुराने शाही कानूनी ढाँचे को समाप्त कर दिया है और गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक जाँच को अनिवार्य बना दिया है।
उन्होंने इन बदलावों के बारे में जन जागरूकता की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया और कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस, शिक्षा विभाग और विधिक सेवा विभाग को जागरूकता अभियान चलाते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि क्राइम ब्रांच कश्मीर ने यह अभियान चलाया है। मुझे उम्मीद है कि क्राइम ब्रांच जम्मू और ज़िला स्तर पर भी इसी तरह के प्रयास किए जाएँगे।
सिन्हा ने यह भी कहा कि पहली बार, भारतीय कानून में आतंकवाद को राष्ट्रीय एकता, जन सुरक्षा या शांति के लिए खतरा बनने वाले कृत्यों के रूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। ये उपाय आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता को मज़बूत करेंगे और क्षेत्र को इसके प्रभावों से मुक्त करने में मदद करेंगे।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
