
जबलपुर, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका पर सरकार की ओर से पेश भोपाल में स्थित आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के आंकड़ों को नाकाफी पाते हुए ये निर्देश दिए कि वो आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के वास्तविक आंकड़े पेश करके बताए कि वहां कितने मुकदमे लंबित हैं और पीठासीन अधिकारियों के कितने पद खाली हैं? मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, शेखर शर्मा और राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता ब्रम्हदत्त सिंह हाजिर हुए।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में जबलपुर के अधिवक्ता संजय कुमार पटेल की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में आवेदक का कहना है कि ट्रिब्यूनल में दायर होने वाले मुकदमों को चार माह में निराकृत करने की समयसीमा है, लेकिन वहां पर वर्ष 2000 में दायर मुकदमे अभी भी लंबित हैं। मप्र आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल भोपाल में पद खाली होने के कारण वहां पर लम्बित एक हजार मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि ट्रिब्यूनल में अभी 887 मुकदमे पेंडिंग हैं। एडवोकेट नागरथ ने बेंच को बताया कि वर्ष 2012 से वहां पर मामले लंबित हैं। इस पर चिंता जताते हुए बेंच ने सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई आठ अक्टूबर को होगी।
—————
(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
