
– प्रधानमंत्री 13 सितंबर को औपचारिक रूप बइरबी – सायरंग रेल मार्ग का करेंगे उद्घाटन
आइजोल, 11 सितंबर (Udaipur Kiran News) । विकास की नई कहानी गढ़ने के लिए बइरबी – सायरंग नया रेल मार्ग तैयार है। सही मायने रेल का इंसानी जीवन में आज के समय क्या महत्व है, इसकी कल्पना मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की सोच से परे है। मैदानी क्षेत्रों में सड़क मार्ग काफी बेहतर है, जिसकी वजह से यातायात आसान होता है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में यातायात बेहद कठिन, चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा होता है। देश की आजादी के बाद से यातायात की चुनौतियों से जूझ रहे पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में नई रेलवे लाइन का परिचालन आरंभ होने जा रहा है, इसको लेकर समूचे राज्य में उत्सव सरीखा माहौल है।
मिजोरम में यात्रा सड़क मार्ग या हवाई मार्ग से ही अब तक संभव था। हवाई मार्ग काफी महंगा था, जिससे आम नागरिक सफर नहीं कर सकता था। जबकि, सड़क मार्ग बेहद खराब और जोखिम भरा है। आए दिन होने वाली बरसात के समय भूस्खलन और सड़कों के टूटने की वजह से यात्रा के समय में कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती थी। जबकि, अत्यावश्यक वस्तुएं, जैसे- खाने-पीने की वस्तुएं, भवन निर्माण सामग्री, पेट्रोलियम प्रदार्थ, दवाइयां आदि के परिवन में काफी पैसे खर्च होते थे। जिसके चलते राज्य में समय पर वस्तुओं की उपलब्धता का न होना और कीमतों में असमानता आम लोगों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करता रहा है। लंबे इंतजार के बाद अब मिजोरम भी भारत के शेष हिस्सों से आसान, सुरक्षित आवागमन के मार्ग यानी रेलवे से जुड़ चुका है। इसकी औपचारिक शुरुआत 13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने जा रहे हैं। इसको लेकर स्थानीय लोगों में भारी उत्साह है। राजधानी आइजोल से 18 किमी दूर सायरंग में एक खुबसूरत रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हो गया है। लोग रेलवे लाइन और रेलवे स्टेशन को हसरत भरी नजरों से निहार रहे हैं।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के सीपीआरओ निरंजन देब ने (Udaipur Kiran) के साथ बातचीत करते हुए रेलवे के निर्माण से जुड़ी चुनौतियों और राज्य को रेलवे के जरिए होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से बताया। साक्षरता दर में देश में अहम मुकाम रखने वाले राज्य में यातायात की स्थिति बेहद खराब थी। पूर्वोत्तर में स्थित मिजोरम की राजधानी आइजोल रेल नेटवर्क से जुड़ने का जश्न मना रहा है। ऐतिहासिक बदलाव का गवाब बनने वाली बइरबी-सायरंग रेल लाइन बनकर तैयार है। यह लाइन असम-मिजोरम सीमा के पास स्थित बइरबी से शुरू होकर, राजधानी आइजोल से मात्र 18 किमी दूर सायरंग तक पहुंचती है।
51.38 किमी लंबी यह नई रेल लाइन घने बांस के जंगलों, गहरी घाटियों और खड़ी पहाड़ियों से गुजरते हुए लुशाई (मिजो) पर्वतों से होकर निकलती है। 45 सुरंगों और 55 मुख्य ब्रिजों वाली इस रेल लाइन पर देश का दूसरा सबसे ऊंचा दूसरा पियर ब्रिज बना है, जिसकी ऊंचाई 114 मीटर है, यानी कुतुब मीनार से भी अधिक ऊंचा। इसके साथ ही, शांत और सौम्य हवाओं वाली भूमि मिजोरम की राजधानी आइजोल अब राष्ट्रीय रेल ग्रिड से जुड़ गई है।
इस प्रोजेक्ट को पूरा करना आसान नहीं था। दुर्गम स्थलाकृति, भूस्खलन और कठिन मॉनसून जैसी परिस्थितियों ने रेलवे की सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग क्षमता की परीक्षा ली। नई रेल लाइन मिजोरम के लोगों के जीवन को बदलने जा रही है। अब तक पहाड़ी भू-भाग के कारण आवागमन धीमा और कठिन था, जिससे यहां वस्तुएं महंगी मिलती थीं और यात्राएं लंबा समय लेती थीं। 51.38 किमी लंबी इस लाइन के पूरा होने से कोलासिब जिले से आइजोल जिले तक की यात्रा का समय आधे से भी कम हो जाएगा। इसका अर्थ है कि सस्ती दरों पर आवश्यक वस्तुओं तक पहुंच आसान होगी, रोजगार और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे। यह रेल लाइन उद्यमियों के लिए बड़े बाजारों तक पहुंच के नए रास्ते खोलेगी। आइजोल के लोग अब देश के प्रमुख शहरों तक सुगमता पूर्वक पहुंच सकेंगे। एवं त्योहारों पर उन्हें अपने घर आने-जाने में सुगमता होगी।
पूसीरे के पीआरओ देब ने बताया है कि सायरंग से चार ट्रेनों का परिचालन होगा, जिसमें 15609-गुवाहाटी सायरंग एक्सप्रेस, 02057-सायरंग आनंद विहार स्पेशल, 20508-राजधानी एक्सप्रेस और 15670- सायरंग गुवाहाटी एक्सप्रेस शामिल हैं। हालांकि प्रधानमंत्री आइजोल से 13 सितंबर को स्पेशल राजधानी एक्प्रेस को हरी झंडी दिखाकर औरचारिक रूप से इस नये रेल खंड का उद्घाटन करेंगे।
नई रेल लाइन केवल परिवहन का साधन नहीं है, बल्कि मिजोरम में विकास और संपर्क के नए दौर का नया अध्याय है। व्यापार और उद्योग के लिए भी यह रेल लाइन मददगार साबित होगी। यहां की हरियाली, घाटियां और पहाड़ियां दुनिया भर के सैलानियों को आकर्षित करेंगी। यहां की प्राकृतिक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, आत्मीय आतिथ्य और जीवंत परंपराओं से जुड़ने का अवसर सैलानियों को मिलेगा।
आर्थिक और लॉजिस्टिक दृष्टि से हटकर देखा जाए, तो आइजोल में रेल लाइन एक भावनात्मक जुड़ाव की उपलब्धि भी है। मिजोरम के लोगों के लिए यह इस बात की पुष्टि है कि वे देश का अहम हिस्सा हैं और भारत की आकांक्षाओं के केंद्र में हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन की जाने वाली इस नई रेल कनेक्टिविटी के साथ, मिजोरम केवल एक रेलवे परियोजना के पूर्ण होने का अवसर ही नहीं, बल्कि एक लंबे समय से संजोए गए सपने के साकार होने का परिणाम है। यह इस सच्चाई का प्रमाण है कि कोई भी भू-भाग इतना कठिन नहीं है और कोई भी लक्ष्य इतना बड़ा नहीं है कि समर्पण और दृढ़संकल्प के साथ हासिल न किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि 29 नवंबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिजोरम में बइरबी से सायरंग तक नई रेल लाइन की आधारशिला रखी थी। 21 मार्च, 2016 को असम से बइरबी तक रेल मार्ग को ब्रॉड गेज में परिवर्तित करने के साथ पहली मालगाड़ी मिजोरम के बइरबी पहुंची थी। 10 जून, 2025 को हरतकी से सायरंग तक अंतिम सेक्शन चालू किया गया, जिससे 51.38 किमी रेल मार्ग पूरी हो गई और आइजोल पहली बार भारतीय रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गया।
परियोजना की कुल लंबाई 51.38 किमी है। परियोजना लाइन कोलासिब और आइज़ोल जिलों से होकर गुजरती है। इस मार्ग पर 100 किमी की गति से ट्रेन दौड़ सकती है। इस मार्ग पर कुल स्टेशन हैं जिसमें हरतकी, कॉनपुई, मुअलखांग, सायरंग शामि हैं। परियोजना पर कुल 8071 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये थे। रेल पटरी की पूरी लंबाई घने जंगल से होकर गुजरती है जिसमें खड़ी पहाड़ियां और गहरी खाइयां शामिल हैं। 70 मीटर से अधिक और 114 मीटर तक की अधिकतम ऊंचाई वाले छह ऊंचे पुल हैं। प्रतिकूल भूगर्भीय परिस्थितियों में 45 सुरंगें, सभी सुरंगों में बलास्ट रहित ट्रैक का निर्माण किया गया है। पुलों की कुल लंबाई 11.78 किमी, आरओबी और आरओबी समेत कुल पुलों की संख्या 153 है। छोटे पुलों की संख्या 88, आरओबी और आरयूबी की संख्या 10 और बड़े पुलों की संख्या 55 है।
इस मार्ग पर कुल 45 सुरंगें हैं, जिनकी कुल लंबाई 15.885 किमी है। सबसे लंबी सुरंग 1.868 किमी लंबी है। मिजोरम की संस्कृति को बढ़ावा देने और इस मार्ग पर रेल यात्रा को एक गहरी सांस्कृतिक अनुभव में बदलने के लिए सुरंग के किनारों पर सांस्कृतिक रूपांकनों का चित्रण किया गया है। ये भित्ति चित्र मिज़ोरम वासियों के पहनावे, त्यौहारों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और ग्रामीण जीवन के साथ-साथ राज्य के वनस्पतियों और जीवों को भी दर्शाते हैं। सुरंगों और पुलों के अलावा, 23.715 किमी ट्रैक खुला है।
मिजोरम के आइजोल जिले को पहली बार रेल कनेक्टिविटी प्रदान करके इसे राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ा गया। कोलासिब और आइजोल निवासियों के लिए आसान, कुशल और सस्ती यात्रा; सिलचर, गुवाहाटी और दिल्ली जैसे शहरों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा केंद्रों तक बेहतर पहुंच। मालगाड़ियों की आवाजाही सुगम होगी, जिससे इस क्षेत्र में व्यापार और लॉजिस्टिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।——————-
(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
