
जयपुर, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा बच्चे का मौलिक अधिकार है। उसे इस तकनीकी आधार पर इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसके आधार कार्ड में वार्ड का हवाला नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने आदेश दिए हैं कि याचिकाकर्ता को पन्द्रह दिन में संबंधित स्कूल में प्रवेश दिलाया जाए। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश दिविक रंगवानी के अपने पिता के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने कहा कि एक बार याचिकाकर्ता को लॉटरी ड्रॉ के जरिये निजी स्कूल में प्रवेश के लिए चुन लिया गया है तो आधार कार्ड में निवास वार्ड का हवाला नहीं होने के तकनीकी आधार पर उसे खारिज नहीं किया जा सकता। आवेदन खारिज करने के बजाए स्कूल प्रशासन याचिकाकर्ता से दस्तावेजी साक्ष्य मांग सकता था।
याचिका में अधिवक्ता एम निसार खान ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने आरटीई के तहत दी वर्धमान इंटरनेशनल स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। स्कूल प्रशासन ने गत 21 अप्रैल को उसका आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उसने गलत दस्तावेज पेश किए हैं। वहीं इसकी सूचना भी याचिकाकर्ता को नहीं दी। इसके बाद स्कूल ने दस्तावेज सत्यापन की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 8 मई कर दिया। याचिका में कहा गया कि उसके आधार कार्ड में निवास वार्ड की संख्या दर्ज नहीं होने के कारण उसका आवेदन अस्वीकार किया गया है। जबकि याचिकाकर्ता ने 8 मई को ई-मेल के जरिए राजपत्रित अधिकारी से सत्यापित दस्तावेज इस संबंध में पेश कर दिया था। इसके बावजूद स्कूल प्रशासन ने उसे प्रवेश नहीं दिया। इसका विरोध करते हुए स्कूल के अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता के दस्तावेज में वार्ड संख्या का हवाला नहीं था। जबकि राज्य सरकार के निर्देशानुसार वार्ड विशेष में निवास करने वाले विद्यार्थी को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाती है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को पन्द्रह दिन में स्कूल में प्रवेश देने के आदेश दिए हैं।
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(Udaipur Kiran)
