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जनजातीय कार्य मंत्रालय ने “आदि संस्कृति” का बीटा संस्करण किया लॉन्च

राज्य मंत्री दुर्गादास उइके

नई दिल्ली, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) ।

परंपरा को तकनीक से जोड़ते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने बुधवार को आदि संस्कृति का बीटा संस्करण लॉन्च किया। यह जनजातीय कला रूपों के संरक्षण, आजीविका सशक्तिकरण और विश्व से जोड़ने वाला एक अनूठा डिजिटल प्लेटफॉर्म है। आदि संस्कृति की परिकल्पना

आदि संस्कृति को विश्व का पहला डिजिटल विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों की संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण और प्रसार करना है। साथ ही यह विश्वभर में जनजातीय शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए ऑनलाइन मार्केटप्लेस भी होगा।

बुधवार को भारत मंडपम में आयोजित आदि कर्मयोगी अभियान के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान आदि संस्कृति का बीटा संस्करण लॉन्च के मौके पर जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने अपने संबोधन में कहा कि मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के उत्थान और उनकी धरोहर के संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने पहले लॉन्च किए गए आदि वाणी (जनजातीय भाषाओं के लिए एआई आधारित अनुवादक) का उल्लेख करते हुए आशा जताई कि ऐसे उपकरण भविष्य में लोकतांत्रिक संस्थानों में भी उपयोगी होंगे।

उन्होंने कहा कि “शिक्षा से संपदा से हाट तक – आदि संस्कृति एक समग्र मंच है जो संरक्षण, ज्ञान-साझेदारी और सशक्तिकरण को एक साथ लाता है। इसके लॉन्च के बाद अब कोई भी व्यक्ति जनजातीय संस्कृति, धरोहर और आजीविका की धरोहर से जुड़ सकता है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनंत प्रकाश पांडेय ने कहा कि आदि संस्कृति सांस्कृतिक संरक्षण और जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने लोगों से पोर्टल का उपयोग करने और निरंतर सुधार के लिए प्रतिक्रिया साझा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आदि संस्कृति को चरणबद्ध रूप से और अधिक पाठ्यक्रमों, भंडारों और मार्केटप्लेस के साथ विस्तारित किया जाएगा। दीर्घकालीन लक्ष्य के तहत इसे एक जनजातीय डिजिटल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करना है, जो प्रमाणपत्र, उच्च शोध अवसर और रूपांतरणकारी शिक्षा के मार्ग प्रदान करेगा।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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