




गोरखपुर, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में “शताब्दी संकल्प @ 2027” के अंतर्गत विकसित भारत – विकसित उत्तर प्रदेश, आत्मनिर्भर भारत – आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि “समर्थ उत्तर प्रदेश, विकसित उत्तर प्रदेश के सपने को साकार करने में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा राज्य के विकास का सबसे अहम घटक है और युवा ही परिवर्तन के वास्तविक वाहक हैं।”
दरअसल विशेषज्ञों के परामर्श और व्यापक जन सहभागिता के साथ विकसित उत्तर प्रदेश@ 2047 की कार्य योजना तैयार की जा रही है। इस मिशन के तीन बिंदु हैं- पहला है समग्र विकास: जिसके अंतर्गत हर नागरिक को घर, पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य मुहैया कराने का लक्ष्य है। दूसरा बिंदु है आर्थिक नेतृत्व: इसके अंतर्गत उद्योग कृषि और सेवा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बढ़त का लक्ष्य है। तीसरा बिंदु है सांस्कृतिक पुनर्जागरण: इसमें परंपरा और आधुनिकता का संतुलित संगम शामिल है. इस मिशन की थीम तीन प्रमुख बिंदुओं अर्थ शक्ति, सृजन शक्ति और जीवन शक्ति पर केंद्रित है।
इसमें 12 सेक्टर चिन्हित किए गए हैं. इसमें कृषि, पशुधन, औद्योगिक विकास, आईटी व इमर्जिंग टेक्नोलॉजी, पर्यटन एवं ग्रामीण विकास, अवस्थापना, संतुलित विकास, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा एवं सुशासन सेक्टर शामिल हैं।
इस संवाद कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, वैज्ञानिक व शिक्षाविदों ने विद्यार्थियों से संवाद किया। इनमें देश दीपक वर्मा (आईएएस), डॉ. बी.एन. सिंह (निदेशक), डॉ. सुनील कुमार श्रीवास्तव (प्रोफेसर), रामकृष्ण यादव (आईआरएस एस), विनय कृष्ण मिश्र (आईएफएस), डॉ. उपेन्द्र (निदेशक, जेआईएमएससी) तथा सुहास एल.वाई. शामिल रहे। इन अतिथियों ने बताया कि विजन डॉक्यूमेंट 2047 के निर्माण में जन भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। विकसित भारत विकसित उत्तर प्रदेश का सपना केवल सरकार का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का साझा लक्ष्य है. सरकार की कोई भी योजना तभी सफल होती है जब जनता उसे विश्वास और सक्रिय सहभागिता के साथ आगे बढ़ाती है। विकसित उत्तर प्रदेश की परिकल्पना भी हर प्रदेशवासी के सहयोग से ही सरकार होगी. इसमें युवाओं की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.इस संवाद के दौरान छात्रों ने भी रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत किए। एमबीए के छात्र आशीष मिश्रा ने कहा कि “हमें केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर ही नहीं, बल्कि उसके रखरखाव और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए।” वहीं एमबीए के छात्र शिवाजी ने नीतियों के प्रबंधन में नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ.अभिषेक शुक्ल ने कहा कि भारत और विशेषतः उत्तर प्रदेश के विकास मॉडल में भारतीयता की स्पष्ट झलक मिलनी चाहिए। भारतीय संस्कृति एवं मूल्य दुनिया के पटल पर भारत को विलक्षण बनाते हैं. यदि हम इसे अपनी विकास यात्रा में लेकर चलेंगे तो विकसित राष्ट्रों के लिए भी उत्तर प्रदेश और अंततः भारत एक रोल मॉडल हो सकेगा. इस दिशा में हमें परिवार के मूल्य पर विशेष ध्यान देना होगा। भारतीय समाज की यह ऐसी थाती है जो मौजूदा विकसित देशों में भी विरल है।
इस संवाद कार्यक्रम ने छात्रों को नीति-निर्माण, विकास की चुनौतियों और आत्मनिर्भरता की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया। विद्यार्थियों ने विकसित विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लक्ष्य में अपनी भूमिका तय करने का संकल्प लिया. इस कार्यक्रम की विश्वविद्यालय से नोडल अधिकारी प्रोफेसर विनीता पाठक रही. जिला प्रशासन की तरफ से मुख्य विकास अधिकारी शाश्वत त्रिपुरेश नोडल की भूमिका में रहे. कार्यक्रम का संचालन डॉ अमित कुमार उपाध्याय एवं आभार ज्ञापन कुलसचिव धीरेंद्र श्रीवास्तव ने किया. इस संवाद कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ-साथ युवा शिक्षकों ने भी उत्साह के साथ सहभागिता की. डॉ कुशलनाथ मिश्रा, प्रो.मनीष कुमार श्रीवास्तव, डॉ अनुपम सिंह, डॉ अर्जुन सोनकर, डॉ. मीतू सिंह, डीआर सरिका गुप्ता, डॉ. कुरेश खान, डॉ. मनोज द्विवेदी, डॉ. हर्षवर्धन आदि उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
