
सरकारी सर्कुलर आंशिक अवैध, विभाग को तीन महीने में जीएसटी रिफंड पर फैसला लेने का आदेश
जोधपुर, 10 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने जीएसटी रिफंड से जुड़े एक मामले में कारोबारी को राहत देते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के सर्कुलर के एक हिस्से को अवैध और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया है। जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस संगीता शर्मा की बेंच ने इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर कैटेगरी के तहत आने वाले प्रोडक्ट से संबंधित रिफंड के मामले में श्री अरिहंत ऑयल एंड जनरल मिल्स की रिट याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। इस रिपोर्टेबल जजमेंट से प्रदेश के हजारों अन्य उद्यमियों-व्यापारयों को भी बड़ी राहत मिल सकेगी।
मामला श्रीगंगानगर की कंपनी श्री अरिहंत ऑयल एंड जनरल मिल्स का है, जो खाद्य तेल का व्यापार करती है। कंपनी ने 18 जुलाई 2022 तक खरीदे गए सरसों का तेल (एचएसएन कोड 1514) पर चुकाए गए स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स की रिफंड के लिए 4 जनवरी 2023 को आवेदन किया था। लेकिन अधिकारियों ने इसे लंबित रखा था। कंपनी के आवेदन पर रिफंड की प्रक्रिया अटकी हुई थी, इसी बीच, केंद्र सरकार ने 13 जुलाई 2022 को नोटिफिकेशन नंबर 09/2022-सेंट्रल टैक्स (रेट) जारी किया। इसमें एचएसएन एंट्री नंबर 1514 सहित कई सामानों के लिए इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की रिफंड पर रोक लगा दी थी। यह नोटिफिकेशन 18 जुलाई 2022 से प्रभावी हुई थी। इसका मतलब था कि अब कंपनियां अपने फाइनल प्रोडक्ट पर कम टैक्स की वजह से जमा हुए एक्सेस इनपुट टैक्स क्रेडिट की रिफंड नहीं ले सकती थीं।
कंपनी की ओर से सीनियर एडवोकेट संजीव जौहरी व उनके साथी वकील शुभांकर जौहरी ने कोर्ट में दलील दी, कि 18 जुलाई 2022 से पहले तक खरीदे गए सामान पर चुकाए गए टैक्स की रिफंड का अधिकार बना रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट 2017 की धारा 54 के अनुसार रिफंड के लिए आवेदन करने की समय सीमा दो साल है। इसलिए 18 जुलाई 2022 के बाद दिए गए आवेदन भी स्वीकार होने चाहिए। मामले में मुख्य विवाद सीबीआईसी के 10 नवंबर 2022 को जारी सर्कुलर नंबर 181/13/2022-जीएसटी को लेकर था। इस सर्कुलर में स्पष्ट किया गया था कि 13 जुलाई 2022 की नोटिफिकेशन का प्रभाव सिर्फ उन रिफंड आवेदनों पर होगा, जो 18 जुलाई 2022 के बाद किए गए हैं। सर्कुलर के अनुसार, जो आवेदन 18 जुलाई 2022 से पहले दिए गए थे, वे प्रभावित नहीं होंगे।
सर्कुलर में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
हाईकोर्ट ने इस सर्कुलर को गलत और अवैध माना। कोर्ट ने कहा कि यह सर्कुलर असल में 18 जुलाई 2022 के बाद दिए गए आवेदनों को रिजेक्ट करने का आधार बन गया है, जबकि मूल नोटिफिकेशन में ऐसी कोई शर्त नहीं थी। जस्टिस दिनेश मेहता ने फैसले में लिखा कि अगर सर्कुलर की इस व्याख्या को मान लिया जाए, तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा कि इससे दो अलग वर्ग बन जाते हैं – पहला वो जिन्होंने 18 जुलाई 2022 से पहले आवेदन दिया और दूसरा जिन्होंने बाद में दिया। यह भेदभाव, बिना किसी तर्कसंगत आधार के है। हाईकोर्ट ने सर्कुलर के पॉइंट नंबर 2 को रद्द करने के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे कंपनी के 4 जनवरी 2023 के आवेदन पर तीन महीने में फैसला लें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैसला लेते समय रद्द किए गए सर्कुलर के हिस्से पर भरोसा नहीं करना है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
